ये तो आपने सुना ही होगा कि हर काम करने की एक सही उम्र और समय होता है, लेकिन कई बार लोग अपनी उम्र से बड़े बनने की आड़ में ऐसा कुछ कर जाते है, जो हैरतंगेज होता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हिमाचल के वंडर बॉय आर्यमन ने।धर्मशाला में रहने वाले 13 साल के बच्चे आर्यमन ने 300 पन्नों का एक रोचक उपन्यास लिख कर इतिहास में अपना नाम सुनहरी अक्षरों से दर्ज करवा लिया है।
इंगलैंड की विख्यात लेखिका एनिड मैरी ब्लिटन से प्रभावित आर्यमन ने ‘दि यंग डिटेक्टिव: स्प्रिचुएलिटी एंड रियेलिटी’ शीर्षक से रोचक उपन्यास लिखा है। इसे अमेरिका के एक पब्लिकेशन ने प्रकाशित किया है। इसी हफ्ते आर्यमन का उपन्यास चेन्नई के नोशन पब्लिकेशन से भी प्रकाशित होकर आ रहा है, जिस उम्र में बच्चे पढ़ाई और खेलकूद का शौक रखते हैं, उस उम्र में इस होनहार बच्चे ने अपनी बुद्धिमता से ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जो हर किसी के दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर दे।
आर्यमन पढ़ाई से लेकर खेलकूद में भी भरपूर रुचि रखता है। यही नहीं, हिंदी और अंग्रेजी भाषा पर उसका समान रूप से अधिकार है। जिला कांगड़ा के धर्मशाला सेक्रेड हर्ट स्कूल में आर्यमन 8वीं कक्षा का छात्र है। उसके पिता डेंटल सर्जन हैं और मां माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट हैं।
आर्यमन के पिता डॉ. आशीष महाजन ने बताया कि आर्यमन को बचपन से ही पढ़ने-लिखने की लग्न लग गई थी। छह साल की उम्र में उसने लिखने का प्रयास शुरू कर दिया था। आर्यमन ने ईनाडू इंडिया से फोन पर कहा कि उसे इंग्लिश राइटर एनिड ब्लिटन एंड रस्किन बॉन्ड को पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। आर्यमन को जैफ्री आर्चर और अमिश त्रिपाठी का लेखन भी बहुत पसंद है।
13 साल के इस वंडर किड के अनुसार उसका पहला नॉवेल यानी उपन्यास एक ऐसे बच्चे के इर्द-गिर्द घूमता है, जो बेसहारा था। उस बच्चे को एक धार्मिक स्थल के प्रमुख ने पाल-पोस कर बड़ा किया। बड़ा होकर उस बच्चे ने जासूसी के क्षेत्र में काफी नाम कमाया।
आर्यमन ने बताया कि धीरे-धीरे वो हिंदी के लेखकों की रचनाओं को भी गंभीरता से पढ़ेगा। उसके मुताबिक किताबें ही इन्सान की सबसे अच्छी दोस्त हैं,और इनसे ज्यादा सच्चा साथी इंसान का शायद ही कोई हो। आज के इंटरनेट के युग में जहां हर कोई भाग दौड़ में अपनी जिंदगी को चला रहा है, उस युग में इस वंडर किड का कारनामा सच में काबिले तारीफ़ है।समाचार फर्स्ट इस मास्टरमांइड बेटे को ढेर सारी शुभकामनाएं देता है।