हिमाचल प्रदेश मिड-डे मील वर्करज यूनियन (संबंधित सीटू) ने केंद्रीय यूनियन के आह्वान पर शुक्रवार को मंडी में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन करते हुए सीटू ने जिला प्रशासन के माध्यम से एक ज्ञापन भी प्रधानमंत्री को भेजा। ज्ञापन में कहा गया कि मार्च महीने से स्कूल बंद होने के बावजूद भी खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिड डे मील योजना में बच्चों को सूखा राशन पहुंचाने का काम कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा रहा है।
इसके अलावा कई राज्यों में शैल्टर्स होम में, कई राज्यों में आईसोलेशन केंद्रों में भी मिड डे मील वर्कर काम कर रहे हैं। मगर इस काम का कोई भुगतान नहीं किया जा रहा है बल्कि पूरे सुरक्षा उपकरण भी कार्यकर्ताओं को नहीं दिए जा रहे हैं। देश में इस समय लगभग 26 लाख मिड-डे मील कार्यकर्ता काम कर रहे हैं जिनके लिए केंद्र सरकार ने केवल 1000 रूपए महीना मानदेय तय कर रखा है और वह भी साल में केवल 10 महीने ही दिया जा रहा है।
कुछ राज्यों में इन कार्यकर्ताओं को अतिरिक्त राशि का प्रावधान किया है मगर अधिकांश राज्यों में एक हजार रुपए मासिक ही मिल रहा है। यूनियन का कहना है कि मिड डे मील वर्कर सभी गरीब तबके से संबंधित महिलाएं हैं जिनके लिए अपने परिवारों का पालन पोषण इस राशि में कर पाना मुश्किल हो रहा है। पूरे देश में लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को वेतन देने का एलान हुआ मगर मिड डे मील कार्यकर्ताओं को नहीं दिया गया।