हिमाचल प्रदेश में सर्दियों ने दस्तक दे दी है और इसी के साथ अब बिजली मांग भी बढ़ती जा रही है। सर्दियों का आगाज होते ही राज्य में बिजली की डिमांड 260 लाख यूनिट पहुंच गई है। बिजली बोर्ड को अपनी परियोजनाओं से सिर्फ 31 लाख यूनिट बिजली ही मिल पा रही है। डिमांड को पूरा करने के लिए राज्य को 200 लाख यूनिट की दरकार है। इसके लिए हिमाचल को अब दूसरे राज्यों पर निर्भर होना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार को अपने हिस्से की बिजली के रूप में रोजाना 39 लाख यूनिट बिजली ही मिल रही है। वर्तमान में हिमाचल को गर्मियों से बरसात तक अन्य राज्यों को दी गई बिजली के रूप में मुफ्त में बिजली वापस मिल रही है।
हिमाचल अपनी बिजली की खपत पूरा करने के लिए दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से बिजली बैंकिंग पर ले रहा है। दरअसल केंद्रीय परियोजनाओं से मिलने वाले शेयर से प्रदेश की 50% ज्यादा मांग पूरी हो रही है। हिमाचल में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। मांग को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने भी विभिन्न परियोजनाओं से मिलने वाले शेयर को राज्य बिजली बोर्ड को देना शुरू कर दिया है। सर्दियों शुरू होते ही बिजली परियोजनाओं में उत्पादन 60% कम हुआ है। प्रदेश की अपनी परियोजनाओं में मौजूदा वक्त में बिजली उत्पादन 78 लाख यूनिट हो रहा है। 225 लाख यूनिट में से 147 लाख यूनिट उत्पादन घट गया है। केंद्रीय शेयर की परियोजनाओं में भी उत्पादन 210 लाख यूनिट से 124 यूनिट तक पहुंच गया है।
इन सर्दियों में लोगों को बिजली की किल्लत से ना गुजरना पड़े इसके लिए विभाग अब यूनिट को बैकिंग करने में लगा हुआ है। पड़ोसी राज्यों को जो बिजली उसने गर्मियों में दी थी, उसे अब वो किस्तों में वापस ले रहा है। बिजली की आपूर्ति को सुचारू बनाने के लिए विभाग किसी तरह का कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहता। लिहाजा उसने अभी से बिजली की खपत पूरा करने के लिए कमर कस ली है।ताकि जनता को इन सर्दियों में किसी तरह की कोई परेशानी ना हो।