कांगड़ा में विवाह शादियों में एक विशेष प्रकार के भोज का आयोजन किया जाता है जिसे धाम कहते हैं। इस का आयोजन विवाह शादियों वे अन्य खुशी के मौकों पर किया जाता है। धाम को तैयार करने के लिये कुक लोकल भाषा में बोटी बुलाया जाता है और उसके साथ काम करने वालों को काम्मे कहा जाता है।
एक बोट्टी चार काम्मों के साथ मिल कर हजारों लोगों के लिए खाना बना सकता है। कांगड़ी धाम में खाना खाने वालों की संख्या कई सौ से ले कर हजारों तक की हो सकती है। ये एक ऐसा भोज है जिसे बहुत कम लोगों द्वारा, बहुत कम समय में हजारों लोगों के लिए बनाया जाता है। खाना परम्परागत तरीके से बनाई गई 'तीण' पर लकड़ी की आंच पर पीतल के बड़े-बड़े बरतनों ( चरोटियां ) में बनाया जाता है।
धाम में परोसे जाने वाले व्यंजन
आमतौर पर कांगड़ी धाम में चावल के साथ 7 या 9 प्रकार की दालें और सब्जियां बनायीं जाती हैं। धाम को लोगों चटाई पर बैठा कर खिलाया जाता है। परंपरागत तरीके से खाना एक विशेष प्रकार के पत्तल में परोसा जाता है, जिसे 'पतलू' कहा जाता है।
कांगडी धाम में चावल के साथ सब से पहले मदरा, राजमाह, मटर पनीर, चने की दाल, माह की दाल, चने का खट्टा और कड़ी को परोसा जाता है, इसके आलावा कई बार पालक पनीर, अरहर की दाल, रोंगी इत्यादी भी परोसे जाते हैं। सबसे अंत में मीठे चावल परोसे जाते हैं।