जब भी हमारे देश में किसी को फांसी की सजा दी गई है, वह चर्चा में रही है। बता दें कि भारत में किसी जघन्य अपराध के बाद ही किसी अपराधी को फांसी दी जाती है। जब किसी को फांसी की सजा दी जाती है नियमों का पालन किया जाता है। फांसी देते समय कुछ नियमों का ध्यान रखना जरूरी होता है। फांसी की तैयारी पहले से ही कर ली जाती है। तय दिन और तय समय पर ही अपराधी को फांसी लगाई जाती है, लेकिन फांसी लगाने के लिए भी कुछ नियम होते हैं, जिनका ध्यान रखना जरूरी होता है। फांसी देने में सबसे अहम भूमिका जल्लाद की होती है।
जल्लाद ही अपराधी को फांसी पर लटकाता है। फांसी पर लटकाने से पहले जल्लाद अपराधी के कान में कुछ बोलता भी है। नियमों का ध्यान रखना जरूरी बिना नियमों का पालन किए किसी भी अपराधी को फांसी नहीं दी जा सकती। बता दें कि फांसी की रस्सी के साथ फांसी का समय, इसे देने की प्रक्रिया आदि पहले से ही तय होते है। इन नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है। जब भी हमारे देश में किसी दोषी को फांसी दी जाती है, तो जल्लाद उसके कानों में कुछ बोलता है। आप भी सोच रहे होंगे कि आखिरी जल्लाद अपराधी के कान में क्या कहता होगा।
लीवर खींचने से पहले अपराधी के कान में कहता है जल्लाद फांसी पर लटकाने से पहले फांसी देने वाला जल्लाद अपराधी के कान में कुछ ऐसा कहता है कि आप भी आश्चर्य करेंगे। बता दें कि फांसी के दौरान जल्लाद चबूतरे से जुड़ा लीवर खींचता है। इस लीवर को खींचने से पहले वह अपराधी के कान में बोलता है 'मुझे माफ कर दो।' इसके अलावा अगर अगर अपराधी हिन्दू होता है तो जल्लाद उसे 'राम-राम' बोला जाता है। अगर अपराधी मुस्लिम है जल्लाद उसके कान में 'सलाम' बोलता है।
यह भी कहता है जल्लाद फांसी से पहले जल्लाद अपराधी के कान में और भी कुछ कहता है। जल्लाद, अपराधी से आगे कहता है कि हम क्या कर सकते हैं, हम हुकुम के गुलाम हैं। इतना कहकर जल्लाद फांसी का फंदा खींच देता है। बता दें कि फांसी के वक्त जेल अधीक्षक, जल्लाद, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट और डॉक्टर मौजूद रहते हैं। अगर इन चारों में से अगर कोई एक नहीं रहता, तो फांसी की सजा रोक दी जाती है।