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कोविड के दौरान हमीरपुर के युवक ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत किया स्ट्राबेरी उत्पादन, अब लाखों की हो रही कमाई

जसबीर कुमार, हमीरपुर |

कोविड माहमारी के दौरान नौकरी की लालसा को दरकिनार करते हुए हमीरपुर के एक नौजवान युवक ने स्ट्राबेरी को सफलतापूर्वक उगाया और पैसा कमाया है। हमीरपुर के साथ लगते विकास नगर में युवा प्राकृत लखनपाल ने खाली पडी हुई भूमि पर साफ सफाई करके एक हजार स्ट्राबेरी के पौधे लगाए जिसमें सफलता मिली है और अब इन पौधों से अच्छी आमदन हो रही है। तो हमीरपुर में प्राकृतिक तौर तरीके से स्वादिष्ट स्ट्राबेरी भी खाने को मिल रही है। अब तक एक किवंटल तक स्ट्राबेरी की पैदावार होने पर खेतीबाडी में दिलचस्पी रखने वाले युवा प्राकृत भी बेहद खुश है।

प्राकृत लखनपाल ने बैगलोर से स्ट्रोबरी के एक हजार पौधे मंगवाए और सही ढंग से देखभाल करने के बाद अब पौधे अच्छी आमदन दे रहे है। मार्च माह से स्ट्राबेरी के पौधों पर फल लगना शुरू हुए है और रोजाना 5 से दस किलो स्ट्राबेरी मिल रही है जिसे सब्जी मंडी में भी सौ रूपये प्रतिकिलो के हिसाब से बेचा जा रहा है। युवा प्राकत लखनपाल ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्ट्राबेरी के प्लांट मगंवाए थे और वातावरण के अनुकूल होने के चलते स्ट्राबेरी के पौधों पर फल मिलना शुरू हुआ है। महंगे पौधे खरीदे थे ताकि बाद में मुनाफा भी हो सके। उन्होंने बताया कि पूरी तरह से देखदेख करते हुए जैविक तरीके से पौधों की देखभाल की है और अब अच्छा उत्पादन मिल रहा है।

21 वर्षीय प्राकत ने बताया कि शौकीय तौर पर लगाए गए स्ट्राबेरी को बेचने के उदेश्य से नहीं लगाया था लेकिन फिर भी अच्छा उत्पादन होने पर इसे सब्जी मंडी में बेचा जा रहा है। जिससे अच्छे दाम मिल रहे है और लोग भी स्ट्राबेरी को पंसद कर रहे है। प्राकृत ने बेरोजगार घूम रहे युवाओं को भी कहा कि बेकार घूमने से मेहनत करके खेतीबाडी की जाए तो सफलता जरूर मिलती है।

बाजार में दो से ढाई सौ रूपये किलो के हिसाब से मिलने वाली स्ट्राबेरी के मीठे फल का पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ट्रायल सफल रहा है जिससे लोगों ने भी खुशी जाहिर की है। स्थानीय निवासी मदन लाल ने बताया कि स्ट्रोबरी बाहर से ही हिमाचल आती है लेकिन प्राकृत ने अच्छा प्रयास किया जिससे स्ट्राबेरी अच्छी लग रही है। उन्होने बताया कि अभी दोबारा से भी फूल पड रहा है और ज्यादा स्ट्राबेरी लगने की उम्मीद है।