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भाजपा को पार्टी चिन्ह पर चुनाव पड़ा महंगा, 2 निगमों पर जीत पाकर कांग्रेस गदगद

मनीष कौल |

प्रदेश में 4 नगर निगमों के चुनावी परिणाम सामने आ चुके हैं। इनमें कांग्रेस ने 2 निगमों(पालमपुर और सोलन) में और भाजपा ने 1 निगम मंडी में पूर्णता बहुमत हासिल किया है। धर्मशाला नगर निगम में मामला अभी तक बीच में ही लटका पड़ा है। यहां भाजपा को निगम के लिए 1 निर्दलीय प्रत्याशी की आवश्यकता है जबकि कांग्रेस को बहुमत के लिए चारों निर्दलियों को अपनी ओर करना होगा। भाजपा निगमों की जीत में बराबरी करने के लिए यहां पूरा जोर लगा रही हैं औऱ लगभग माना जा रहा है कि धर्मशाला में भाजपा ही निगम बनाएगी।

इसी बीच बात की जाए निगम चुनावों की तो भाजपा को पार्टी चिन्ह पर ये चुनाव करवाना महंगा पड़ गया। प्रदेश के मुखिया ने चुनावों से पहले प्रचार के दौरान खूब प्रसार किया कि हमने कांग्रेस नेताओं की बात मान ली और पार्टी चिन्ह पर भाजपा जीत दर्ज कर दिखाएगी। लेकिन जब भाजपा के पल्ले सिर्फ एक निगम ही रह गया तो बात काफी अंदर तक घर कर गई। भाजपा नेता अब बेशक मंथन की बात कर रहे हों लेकिन 2022 को देखते हुए बीजेपी को पार्टी चिन्ह के नाम पर ये ट्रायल मैच खेलना महंगा पड़ गया।

वहीं, कांग्रेस की बात करें तो चार निगमों में 2 पर जीत पाकर पार्टी ऐसा जश्न मना रही है जैसे कि 2022 का चुनाव जीत लिया हो। पालमपुर निगम में तो बुटेल परिवार का ऐसा रुतबा और नाम है जिसके आगे पार्टी का नाम फीका पड़ जाता है। ऐसे में पालमपुर निगम में कांग्रेस से जुड़े बुटेल और उनके दावेदारों का जीतना अनिवार्य था। बात सोलन की करें तो यहां बेश़क कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन कर दिखाया है। इन दो निगमों की जीत के लिए खूब जश्न तो मनाया जा रहा है लेकिन कांग्रेस शासित रहे धर्मशाला निगम गंवाने और मंडी में 25 फीसदी वोट पर शायद ही कोई मंथन हो। अग़र ऐसा ही हुआ तो 2022 के नजरिये से 2 निगमों की जीत का ये जश्न काफ़ी चौंकाने वाले परिणाम दे सकता है।