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मंडी उपचुनावः BJP टिकट तलबकारों की लिस्ट बढ़ी, अब CM के करीबी राजेश शर्मा का नाम भी आया चर्चा में

बीरबल शर्मा |

रामस्वरूप शर्मा के असमायिक निधन से खाली हुई मंडी लोक सभा सीट के लिए उपचुनाव की तारीख का एलान करने में जैसे जैसे देरी हो रही है इसके भाजपा के टिकट तलबकारों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है। इस सीट पर उपचुनाव के लिए दो दफा के टिकट रनरअप अजय राणा, कारगिल हीरो बिग्रेडियर खुशहाल ठाकुर, प्रदेश सचिव प्रवीण शर्मा, पूर्व सांसद महेश्वर सिंह, मंत्रीगण महेंद्र सिंह, गोबिंद सिंह ठाकुर, पूर्व विधायक डीडी ठाकुर, युवा नेता भंवर भारद्वाज, मुख्यमंत्री की पत्नी डॉ साधना ठाकुर, गोबिंद ठाकुर की बहन धनेश्वरी ठाकुर, पूर्व मंत्री ठाकुर रूप सिंह, गुलाब सिंह ठाकुर, कर्मचारी नेता एनआर ठाकुर व मिल्क फेड के चेयरमैन निहाल चंद शर्मा समेत एक दर्जन भाजपा नेता लाइन में हैं और इनको लेकर गाहे बगाहे सोशल मीडिया व समाचारों में चर्चा भी होती रहती है।

एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तीन दिन के दिल्ली दौरे से लौटे हैं जिसे अब तक का सबसे सफल व ऐतिहासिक दौरा माना जा रहा है। जाहिर है कि इस दौरे में मंडी लोक सभा के साथ साथ फतेहपुर व जुब्बल कोटखाई के विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव का खाका भी करीब करीब बनाया जा चुका है। इसी के चलते अब नया नाम उपायुक्त कार्यालय कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेश शर्मा का नाम भी चर्चा में आ गया है।

राजेश शर्मा मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के पुराने दोस्त व बेहद करीबी हैं। जाहिर है उनका नाम आया है तो जैसे बिना आग से धुआं नहीं होता तो कहीं न कहीं इनके नाम की भी चर्चा हुई होगी। मंडी से पंडित सुखराम के बाद रामस्वरूप शर्मा ब्राहमण वर्ग से सांसद रह चुके हैं। ऐसे में पार्टी शायद फिर से यहां किसी ब्राहमण चेहरे को लेकर सोच रही होगी तो उस फेहरिस्त में राजेश शर्मा जो लंबे अरसे से कर्मचारी संगठन में काम कर रहे हैं का नाम जुड़ा है। उनका नाम आते ही सोशल मीडिया में उनके पक्ष में जमकर वकालत शुरू हो गई है। 

कर्मचारी वर्ग व उनके जानने वालों की ओर आ रही अधिकांश टिप्पणियों में कहा जा रहा है कि मंडी लोक सभा से राजेश शर्मा से अच्छा और कोई उम्मीदवार नहीं हो सकता। उनके पास 32 सालों का उपायुक्त कार्यालय में कार्य करते हुए प्रशासनिक व कर्मचारी संगठन से जुडे़ होने का अनुभव है। मंडी के बल्ह क्षेत्र के गांव टिक्कर के रहने वाले राजेश मृदभाषी व मिलनसार हैं, वर्तमान में प्रदेश एनजीओ फेडरेशन के महासचिव भी हैं। अब यदि मुख्यमंत्री जय राम ने इसे लेकर कोई आकलन के बाद मन बनाया होगा तो इसमें कोई दो राय नहीं कि राजेश शर्मा का नाम चर्चा में है।

हां यह बात जरूर है कि इससे पहले भाजपा के लिए एनजीओ नेताओं को आजमाने का अनुभव ठीक नहीं रहा है। बीती सदी के नौवें दशक में धाकड़ कर्मचारी नेता मधुकर व अदन सिंह लोक सभा के चुनाव में पंडित सुख राम से मात खा चुके हैं। यह बात दीगर है कि वर्तमान में परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं। प्रदेश व केंद्र में विशुद्ध भाजपा सरकारें सत्ता में हैं जबकि उस समय पंडित सुखराम के कद के आगे सब बौने थे व भाजपा न प्रदेश और न केंद्र में सत्ता में थी। इस समय कांग्रेस के पास पंडित सुखराम जैसा मजबूत नेता भी सामने नजर नहीं आ रहा है। अभी यह भी मान कर चला जा रहा है कि प्रदेश व केंद्र में सत्ता के चलते इस उपचुनाव में किसी भी लाटरी खुल सकती है। समय बहती गंगा में हाथ धोने का है क्योंकि सामने तो नरेंद्र मोदी व जयराम ठाकुर के ही चेहरे होंगे।