जवाहर लाल नेहरू कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स शिमला में सुविधाओं और बुनियादी ढांचे में कमी से संबंधित मामले को लेकर हिमाचल हाई कोर्ट ने एचपीयू के वाइस चांसलर प्रो सिकंदर और रजिस्ट्रार को 9 अगस्त से पहले को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने जेएलएन कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स, शिमला के छात्रों द्वारा मुख्य न्यायाधीश को पत्र द्वारा भेजी गई जनहित याचिका पर ये आदेश पारित किए हैं।
छात्रों ने पत्र में आरोप लगाया है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने मई 2015 में गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज चौड़ा मैदान शिमला के 5 कमरों में जवाहर लाल नेहरू कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स शुरू किया। इस कॉलेज में 143 छात्र बीएफए की पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन कॉलेज में अनुभवी शिक्षक, उचित बुनियादी ढांचा जैसे लैब, वर्कशॉप आदि नहीं हैं। छात्रों ने अन्य कॉलेजों के साथ अपने पाठ्यक्रम की गैर संगतता और उनके परिणामों की घोषणा न करने की भी शिकायत की है। छात्रों ने आरोप लगाया है कि शिमला के पाश कॉलेज को पर्याप्त जमीन दी गई है लेकिन ऐसा लगता है कि कॉलेज प्राधिकरण प्रस्तावित क्षेत्र में स्थानांतरित करने के लिए इच्छुक नहीं है।
कोर्ट ने अपने पहले आदेश में कहा था कि शिक्षा के स्तर को बनाए रखना विश्वविद्यालय की बड़ी जिम्मेदारी है, लेकिन जहां तक इस कॉलेज का संबंध है विश्वविद्यालय ऐसा करने में बुरी तरह विफल रहा है। ऐसे में छात्रों के हित के साथ साथ उनके भविष्य के जीवन और करियर के लिए यह जरूरी हो जाता है कि विश्वविद्यालय के तहत प्रदान की जा रही शिक्षा गुणवत्ता पर कोर्ट द्वारा विचार किया जाए।