ड्यूटी पर वापस लौट रहे जवान के लापता होने के मामले में चार-पांच दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं। अब तो जवान के घर वाले भी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। घरवालों का कहना है कि पुलिस इस मामले में कोताही बरत रही है और जब भी घरवालें पुलिस के पास जवाब मांगने जाते हैं तो वह हमें टाल देते हैं और मामले में कोई कार्रवाई नहीं करते।
गौरतलब है कि जवान विरेंद्र अपनी ड्यूटी पर लौटते वक्त 22 जुलाई को लापता हो गए थे। पुलिस से लेकर बटालियन तक कोई भी इस मामले को गहनता से नहीं ले रहा है। हालांकि, पुलिस ने शिकायत तो दर्ज कर ली है लेकिन इतने दिनों बाद भी पुलिस कोई जांच नहीं कर पाई है।
ये है पूरा मामला
घरवालों के मुताबिक, वह 22 जुलाई को जब देहरादून से जबलपुर जाने के लिए निकले, लेकिन इसी बीच उनकी ट्रेन छूट गई। इसके बाद वह दिल्ली जाने वाली ट्रेन में बैठ गए और सफर के दौरान उनका फोन भी आया। उसके बाद अगले दिन तक हमारी उनसे कोई बात नहीं हो पाई। दूसरे दिन जब जबलपुर पता किया, तो उन्होंने बताया कि वह जबलपुर नहीं पहुंचे हैं।
जवान विरेंद्र की पत्नी अरूणा के मुताबिक, विरेंद्र फिरोजपुर यूनिट में थे और जबलपुर में 6 माह की ट्रेनिंग पर गए हुए थे। उनकी फिरोजपुर स्थित यूनिट अधिकारी सेना के जवान के अचानक लापता होने पर कोई मदद नहीं कर रहे है। यहां तक पांवटा साहिब पुलिस स्टेशन ने भी उन्हें टाल दिया। बाद में किसी तरह एसपी सिरमौर की मदद से मामला दर्ज हुआ।