सरकार ने गौ सेवा आयोग तो बना दिया है लेकिन प्रदेश की सड़कों पर बेबस, बेसहारा घूमते गौ माता और नंदी की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। बेसहारा पशुओं को आश्रय देने और गो सदनों के रखरखाव के लिए राज्य सरकार शराब की हर बोतल पर अब डेढ़ रुपये सेस भी वसूल रही है। हालांकि पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर का कहना है कि जयराम की सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है और शीघ्र ही प्रदेश की सड़कों से इन आवारा पशुओं को हटाकर गौशाला में पहुंचा दिया जाएगा। इसके लिए सरकार कई परियोजनाओं पर काम कर रही है।
वीरेंद्र कंवर ने बताया कि जयराम सरकार जब से सत्ता में आई है वह गौ संरक्षण के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं। इसके लिए सबसे पहले गौ सेवा आयोग बनाया गया। प्रदेश के हर जिले के अंदर बड़ी गौशालाओं का निर्माण किया जा रहा है। प्रदेश के सोलन, सिरमोर जिलों में गौशालाएं बनाई गईं जिससे सड़कों पर अब आवारा पशुओं की संख्या कम हुई है। इसके अलावा एनजीओ के द्वारा चलाई जा रही गौशालाओं को आर्थिक मदद भी दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के अन्य जिलों को भी बेसहारा पशुओं से मुक्त कराया जाएगा। कंवर ने कहा कि उना में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस डेयरी का बनाई जा रही है। जिससे अच्छी नस्ल के गायों का पालन किया जा सके। उन्होंने कहा कि किसानों को अच्छी नस्ल के पशुओं के पालन का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा जिससे उन्हें पशुपालन में मदद मिलेगी और दूध के उत्पादन में भी वृद्धि होगी।
सरकार बेशक बेसहारा पशुओं को संरक्षण देने की बात को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही हो लेकिन जमीनी हकीकत इससे कहीं अलग है। प्रदेश में आवारा पशुओं की संख्या में कमी होने की बजाय इनकी संख्या दिनों दिन बढ़ रही है। यहां तक की अब तो कानों में टैग लगे पशु भी सड़कों पर आवारा घूमते नजर आ रहे हैं। लेकिन फिर भी उन पशुओं के मालिकों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। आए दिन आवारा पशुओं के चलते होने वाले सड़क हादसों में लोगों की जान जा रही । सड़कों पर झूंडों के झूंड आवारा पशुओं के घूम रहे हैं। जबकि सरकरा द्वारा बनाए गए गौ सदन खाली पड़े हैं।