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हिमाचल में SJVN का बढ़ा कारोबार, आउटसोर्सिंग से घट रहा रोजगार

पी. चंद |

सतलुज जल विद्युत निगम अपनी स्थापना के 33 साल पूरे कर चुका है। 1988 में एक प्रोजेक्ट से शुरू हुई SJVN के पास आज भारत , नेपाल और भूटान में 32 जल विद्युत परियोजनाएं हैं। 3000 करोड़ से कंपनी ने शुरू किया प्रोजेक्ट बनाने का सफ़र अब 35000 करोड़ के प्रोजेक्ट का निर्माण कर रहा है। 1500 मेगावाट से शुरू हुआ सफ़र 11000 मेगावाट हो चुका है। जिसको 2040 तक 25000 मेगावाट की कंपनी बनने का लक्ष्य रखा गया है। ये जानकारी एसजेवीएन के एमडी नंद लाल ने शिमला में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी।

उन्होंने कहा कि जब कंपनी शुरू हुई तब 2500 कर्मी इसमें काम करते थे। आज घटकर 1500 कर्मी रह गए हैं। रोज़गार घटने के कारण आउटसोर्सिंग पर भर्ती को बताया गया। बावजूद इसके कंपनी का शुद्ध लाभ बढ़कर 1633.04 करोड़ रहा है। कंपनी का शेयर 3.96 रुपए से बढ़कर 4.16 रुपए प्रति शेयर हो गया। विद्युत परियोजनाओं के अलावा एसजेवीएन अब सोलर , विंड, थर्मल प्लांट भी लगा रहा है। हिमाचल में एसजेवीएन का 5000 करोड़ का निवेश किया गया है। अगले 5 सालों में 23 हज़ार करोड़ का निवेश विद्युत परियोजनाओं पर करेगी।

एसजेवीएन बिना स्थानीय लोगों की सहमति से ही प्रोजेक्ट बनाएगा। सिर्फ हाइड्रो प्रोजेक्ट की वजह से ही भूस्खलन नहीं हो है, जहां प्रोजेक्ट नहीं भी है वहां भी भूस्खलन आ रहे हैं। स्पीति व किंन्नौर में भी लोगों की सहमति के बिना प्रोजेक्ट नहीं बनाएं जाएंगे। बाहर से संस्थाओं को प्रोजेक्ट में व्यवधान डालने के लिए फंडिंग होती है, जिसकी वजह से प्रोजेक्ट बनाने में देरी होती है। ग्लोबल इन्वेस्टरमीट में एसजेवीएन को 6 प्रॉजेक्ट मिले हैं जिनमें से 3 पर काम हो चुका है।