जुब्बल कोटखाई से भाजपा को एक बड़ा झटका लगा है। यहां टिकट न मिलने से नाराज़ चेतन बरागटा ने चुनावी ताल ठोकते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भर दिया है। शिमला में पहले ही कमजोर रही भाजपा के लिए ये बड़ा झटका हो सकता है।
शिमला की जुब्बल कोटखाई में टिकट की उम्मीद लगाए बैठे स्व. नरेंद्र बरागटा के सपुत्र चेतन बरागटा का टिकट जैसे ही कटा जुब्बल कोटखाई भाजपा में घमासान मच गया। मचता भी क्यों नही चेतन बरागटा ने नामांकन पत्र तक दाख़िल करने का पूरा इंतज़ाम कर लिया था यहां तक कि सामियाना तक लगा लिया गया था। लेकिन उनकी घूर विरोधी रही नीलम को टिकट मिल गई। फ़िर बग़ावत तो होनी ही थी। अब चेतन बरागटा ने आज़ाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फ़ैसला कर लिया है। चेतन बरागटा ने कहा कि परिवाद के नाम पर उनका टिकट काटा गया है।
भाजपा से टिकट मिलने पर गदगद नीलम सरैईक ने कहा कि टिकट मिलने पर पार्टी नेतृत्व का धन्यवाद है। वह नरेंद्र बरागटा के पद चिन्हों पर चलते हुए जुब्बल कोटखाई की जनता के सेवा करती रहेंगी। दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने एक आम कार्यकर्ता को जुब्बल कोटखाई क्षेत्र से महिला पहली बार महिला के रूप में उम्मीदवार बनाकर चुनाव लड़ने का मौका दिया है। वह सेब बागवानों की आवाज़ उठाती रहेंगी। मुख्यमंत्री ने भी नीलम के समर्थन में जनसभा को संबोधित किया।
उधर, भाजपा में पड़ी फुट का सीधा फ़ायदा कांग्रेस पार्टी को मिलेगा। कांग्रेस का गढ़ रही जुब्बल कोटखाई क्षेत्र के किले को नरेंद्र बरागटा ने ही भेदा था। लेकिन भाजपा में हुई बग़ावत का फायदा रोहित ठाकुर को मिलेगा। रोहित ठाकुर ने भी जुब्बल कोटखाई से नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। उनका कहना है कि भाजपा के चार साल बागवानों के लिए सबसे बुरे रहे हैं। इसलिए कांग्रेस जुब्बल कोटखाई में जीत दर्ज़ करेगी। जुब्बल कोटखाई की जनता हमेशा सत्ता के साथ चलती रही है। इस बार उपचुनाव में सबकी नजरें टिकी हैं लेकिन यदि भाजपा ने डैमेज कंट्रोल नहीं किया तो उसकी कीमत उठानी पड़ सकती है।