ग्लोबल वार्मिंग पूरी दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभर के आई है। हर कोई इसे नियंत्रण में करने के लिए अपने योगदान में लगा हुआ है। ऐसी ही एक मिसाल सविड़न के कुछ लोगों ने दुनिया के सामने रखी है।
एक निजी प्रयास के अंतर्गत उतरी सविड़न के हैलगा ग्लेशियर को एक मोटे कपड़े की चादर से ढक दिया गया था। इस प्रयास से ग्लेशियर गर्मी के महीनों में 2.5 मीटर कम पिघला है। आपको बता दें कि सविड़न के सबसे ऊंचे पर्वत केबनेकायसे में ग्लोबल वार्मिंग के चलते इस साल 2 मीटर से ज्यादा बर्फ पिघल चुकी है।
एस प्रयास के सह-संस्थापक एरिक हस ने बताया कि उनकी टीम ने ग्लेशियर के छोटे से हिस्से को ऊन और मक्की के आटे की चादर से ढक था जिस कारण इस बार बर्फ कम पिघली है।
हस ने आगे कहा, “इस चादर ने 3.5-4 मीटर बर्फ को पिघलने से बचाया है।”
हस का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग को बेहतर समझने के लिए पहले ग्लेशियर को समझना जरूरी है। ग्लेशियर हमें बताते हैं कि मौसम कितनी तेजी से बदल रहा है, और पर्यावरण को बचाने में हमारा योगदान क्या होना है।
ऐसे प्रयास दुनिया के कई हिस्सों में किये जा चुके हैं। हमारे हिमाचल के ग्लेशियर सिंधु घाटी की नदियों के अहम श्रोत हैं। ग्लोबल वार्मिंग के चलते इन पर भी असर पड़ रहा है। अगर ये ज्यादा तेजी से पिघलते हैं तो पूरे दक्षिण ऐशिया में इसका प्रभाव पडे़गा।