फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में कार्डियोलॉजी विभाग के सलाहकार और प्रमुख डॉ. सैयद एजाज नासिर और उनकी टीम ने कैथेटर निर्देशित थ्रोम्बोलिसिस (सीडीटी) नामक एक कठिन प्रक्रिया का प्रदर्शन करके एक बुजुर्ग मरीज के जीवन को उखड़ने से बचा लिया । दरअसल, इस रोगी के दाहिने पैर में अचानक दर्द और सुन्नपन की शिकायत हुई। जो बढ़ते-बढ़ते उनकी चलने-फिरने एवं रोजमर्रा के कार्यों के लिए लाचार बनाती गई।
बहुत सी जगहों पर उपचार लेने पर भी जब उन्हें कोई आराम न मिला, तो थक हार कर वे फोर्टिस अस्पताल पहुंचे, जहां कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सैयद ने जांच के उपरांत पाया कि मरीज के पैर की मुख्य रक्त धमनी में रुकावट है। रोगी को तुरंत लेग एंजियोग्राफी के लिए ले जाया गया और यह पाया गया कि रोगी के दाहिने पैर के मुख्य रक्त (राइट पोपलीटल आर्टरी) पूरी तरह ब्लॉक है, जिससे घुटने के जोड़ से बाहर का रक्त प्रवाह पूरी तरह से कट गया है। यदि इसका उपचार नहीं किया जाता, तो रोगी के पैर में गैंग्रीन विकसित हो जाता, जिससे अंग को काटने की आवश्यकता होती।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कार्डियोलॉजिस्ट डॉ सैयद एजाज नासिर ने कैथेटर निर्देशित थ्रोम्बोलिसिस (सीडीटी) किया। इस प्रक्रिया में, कैथेटर को पर्क्यूटेनियस रूप से पैर की धमनी में रखा गया था और लगभग 24 घंटों के लिए कैथेटर के माध्यम से एक मजबूत रक्त का थक्का घोलने वाली दवा (स्ट्रेप्टोकिनेस, एसटीके) को थक्के में दिया गया था। रोगी का दर्द और सुन्नपन कम होने लगी। इस प्रक्रिया के 24 घंटे के बाद की गई जांच एंजियोग्राफी ने पूरे पैर में पूर्ण रक्त प्रवाह की बहाली के साथ थक्के की निकासी को दिखाया। इस प्रकार रोगी को अपाहिज होने से बचाया गया और साथ ही उसकी टांग को भी सुरक्षित किया।
एक्यूट लिम्ब इस्किमिया (एएलआई) एक जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली घटना है, जिसमें तत्काल हस्तक्षेप के बिना न केवल अंग हानि हो सकती है, बल्कि मृत्यु भी हो सकती है। लगभग 85 प्रतिशत मामलों में इस बीमारी का प्रमुख कारण धमनी ब्लॉकेज है।
इस संबंध मे डॉ सयद ने कहा कि यह असाधारण स्थिति थी जिसमें न केवल मरीज के अपाहिज होने का खतरा था बल्कि उसकी जान भी जा सकती थी। उन्होंने कहा कि नसों मे ब्लॉकेज को हल्के मे नहीं लेना चाहिए। ऐसी स्थिति मे मरीज को सही समय पर विशेषज्ञ डॉक्टर से उपचार लेना आवश्यक होता है।