शिमला में शुक्रवार को भाजपा कार्यसमिति की बैठक में हिस्सा लेने आए पार्टी के मेहमानों को ठहराने को लेकर उपजी गलतफहमी से बड़ा विवाद खड़ा हो गया। सर्किट हाउस में राज्य अतिथि के लिए आरक्षित बीवीआइपी कमरों को सरकार के निर्देश पर भाजपा नेताओं को आवंटित किया गया। दो दिन तक इसमें ये नेता ठहरे भी, लेकिन शुक्रवार को सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने आवंटन पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जीएडी सचिव ने इस संबंध में हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के वरिष्ठ प्रबंधक से स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने आवंटन को लेकर दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। उनके निर्देश पर निगम ने भाजपा नेताओं को शुक्रवार शाम रिजर्व रखे कमरों से बाहर कर दिया। इससे विवाद और गहराया। जिन नेताओं के कमरों में बदलाव किया गया, उनमें पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और राज्यसभा के पूर्व सांसद कृपाल परमार भी शामिल थे।
धूमल दो दिन तक 701 कमरे में रुके, लेकिन जैसे ही उन्हें 708 कमरा आवंटित किया गया तो वह इसमें ठहरने के बजाय हमीरपुर चले गए। कृपाल परमार ने तो कमरा बदलने पर निगम अधिकारियों को खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने यहां तक कहा कि वह शिमला अपमानित होने के लिए नहीं आए हैं। मामला तूल पकड़ता देख निगम के अधिकारियों ने उन्हें कमर्शियल कमरा (601) आवंटित किया। इसका आवंटन निगम ही करता है।
जीएडी के पत्र के मुताबिक सर्किट हाउस में कमरा नंबर 701 से 708 तक और कमरा नंबर 602, 603 और 501 राज्य अतिथि के लिए आरक्षित रखे गए थे। बावजूद इसके 701 कमरे का आवंटन धूमल को किया गया। जीएडी के अधिकारी के मुताबिक एचपीटीडीसी के अधिकारियों ने आवंटन अपने स्तर पर किया है। उन्होंने इसे तुरंत खाली करवाने के निर्देश दिए। साथ ही यह भी कहा कि जो भी कमरे राज्य अतिथि के लिए आरक्षित रखे गए हैं, वे पात्र व्यक्तियों को ही मिले।
सूत्रों कि मुताबिक राज्य अतिथि के लिए जो कमरे आरक्षित रखे गए थे, उन्हें मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार त्रिलोक जम्वाल ने भाजपा नेताओं सह प्रभारी संजय टंडन, राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी, पूर्व राज्यसभा सांसद कृपाल परमार और ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को ठहराया। इसके लिए उन्होंने भाजपा नेता प्रेम ठाकुर को व्यवस्था अधिकारी तैनात किया था। उनके निर्देश पर निगम के अधिकारियों ने कमरे आवंटित किए थे।
अब वीआइपी कमरों में भाजपा नेताओं की जगह सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की उपनिदेशक माया कुमारी, केंद्रीय जल आयोग के निदेशक भूपेश कुमार को ठहराया गया है। इंदु गोस्वामी और ब्रिगेडियर खुशाल वापस चले गए थे, इस कारण उनके कमरों पर विवाद नहीं हुआ। कृपाल परमार ने निगम के अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाने तक की धमकी दी।