समुद्र के भीतर ज्वालामुखी विस्फोट के बाद प्रशांत महासागर के आसपास सुनामी का खतरा कम होना शुरू हो गया, लेकिन छोटे से द्वीपीय राष्ट्र टोंगा के ऊपर बड़े पैमाने पर राख के बादल छा गए. टोंगा में हुए नुकसान का आकलन करने के लिए न्यूजीलैंड से निगरानी उड़ानें भी नहीं भेजी जा सकीं.
उपग्रह की तस्वीरों में हुए भीषण विस्फोट के बाद प्रशांत महासागर के ऊपर राख, भाप और गैस की मोटी परत दिख रही थी. विस्फोट की आवाज अलास्का जितनी दूर तक सुनी जा सकती थी. टोंगा में समुद्र की भयानक लहरें तटों तक पहुंचने लगीं और लोग जान बचाने के लिए जल्दबाजी में ऊंचे स्थानों पर जाने लगे.
ज्वालामुखी विस्फोट से टोंगा में इंटरनेट पूरी तरह ठप हो गया, जिससे दुनिया भर में लोग वहां अपने परिजनों, दोस्तों की खैरियत जानने के लिए बैचेन होने लगे. सरकार की वेबसाइट और अन्य माध्यमों पर भी रविवार दोपहर तक कोई अद्यतन जानकारी नहीं दी गई है.
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने कहा कि टोंगा में अभी तक किसी के घायल होने या मरने की कोई आधिकारिक रिपोर्ट नहीं है. साथ ही कहा कि अधिकारियों का अभी तक कुछ तटीय क्षेत्रों और छोटे द्वीपों से संपर्क नहीं हो पाया है. आर्डर्न ने कहा, “टोंगा के साथ संचार संपर्क बहुत सीमित है. मैं जानती हूं कि यहां टोंगा के लोग काफी चिंतित हैं.”
प्रधानमंत्री ने कहा कि टोंगा के तटवर्ती इलाकों में नावों और दुकानों को काफी नुकसान हुआ है. टोंगा की राजधानी नुकुलोफा ज्वालामुखी विस्फोट से निकली राख से ढकी हुई थी. आर्डर्न ने कहा कि क्षेत्र का पानी भी दूषित हो गया है और सबसे ज्यादा साफ पेयजल की जरूरत है.
राहत एजेंसियों ने कहा कि राख और धुएं की मोटी परत के कारण अधिकारियों ने लोगों को मास्क पहनने और बोतलबंद पानी पीने के लिए कहा है. आर्डर्न ने कहा कि न्यूजीलैंड रविवार को टोंगा के ऊपर निगरानी उड़ान भेजने में असमर्थ रहा, क्योंकि राख का बादल 63,000 फुट (19,000 मीटर) तक छाया हुआ था. सोमवार को फिर से विमान भेजने के प्रयास किए जाएंगे. जहाजों और विमानों के जरिए जरूरी सामान पहुंचाने की व्यवस्था भी की जाएगी.