भारतीय टीम के कप्तान रहे हॉकी खिलाड़ी चरणजीत सिंह का निधन हो गया है. वह 92 साल के थे. ऊना में उन्होंने अपने घर पर गुरुवार सुबह अंतिम सांस ली और सुबह पांच बजे उनका निधन हो गया. वह कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे. जानकारी के अनुसार, चरणजीत सिंह ऊना जिला मुख्यालय के पीरनिगाह रोड पर मैड़ी में रहते थे. उनका जन्म 3 फ़रवरी 1931, ऊना में हुआ था. वह पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी और 1964 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक हॉकी टीम के कप्तान रहे हैं. उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने 1964 में टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था.
जानकारी के अनुसार, चरणजीत सिंह ने पंजाब के गुरदासपुर और लायलपुर से अपनी स्कूली पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने लुधियाना से एग्रीकल्चर में बीएसई की पढ़ाई की और बाद में वह हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक पद पर भी रहे. स्कूली स्तर पर उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया था.
वह साल 1949 में पंजाब यूनिवर्सिटी की हॉकी टीम में शामिल हुए है और बाद में उन्हें यूनिवर्सिटी टीम का कप्तान बनाया गया. साल 1950 में उन्हें भारतीय हॉकी टीम में चुना गया. 1951 और 1955 में पाकिस्तान गई भारतीय टीम में चरणजीत सिंह को शामिल किया गया. 1959 में यूरोप दौरे के लिए गई भारतीय टीम का भी चरणजीत सिंह हिस्सा रहे. रोम ओलंपिक के लिए भारतीय टीम में चरणजीत सिंह को शामिल किया गया था. लेकिन वह इस स्पर्धा के फाइनल मुकाबले में इंजुरी की चलते नहीं खेल पाए थे.साल 1961 में उन्हे भारतीय टीम का उपकप्तान बनाया गया. बाद में उनके नेतृत्व में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक्स में गोल्ड मेडल जीता.
चरणजीत सिंह का साल-दर-साल प्रदेश निखरता रहा. एसे में उन्हें 1963 में अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया. लेकिन 1964 में ओलपिंक गोल्ड जीतने के बाद उन्हें सरकार ने पद्म श्री सम्मान दिया.इसके अलावा, भी उन्हें राज्यस्तरीय और अन्य सम्मान मिले. वह हिमाचल और पंजाब में कई विभागों और संस्थाओं के सदस्य और पदाधिकारी भी रहे थे.