कांग्रेस में पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी की भूमिका और महत्वपूर्ण होती जा रही है। पार्टी के संकटमोचक के साथ वह पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बाद दूसरी बड़ी स्टार प्रचारक हैं। उत्तर प्रदेश और अन्य चुनावी राज्यों में हर उम्मीदवार उन्हें प्रचार के लिए बुलाना चाहता है। प्रियंका गांधी भी उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करते हुए सभी प्रदेशों के विधानसभा चुनाव में प्रचार कर रही हैं।
उत्तर प्रदेश के अलावा दूसरे प्रदेशों में प्रचार की शुरुआत प्रियंका गांधी ने पिछले साल हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से कर दी थी, पर इस बार वह चुनाव प्रचार में पहले के मुकाबले ज्यादा सक्रिय हैं। इसकी वजह भी हैं। पंजाब कांग्रेस में अंदरुनी कलह से निपटने में वह अहम भूमिका निभाती रही हैं। नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने में उनकी भूमिका काफी अहम रही है।
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बीच विवाद हो या पार्टी के असंतुष्ट नेताओं की नाराजगी। प्रियंका हर मुश्किल वक्त में पार्टी नेतृत्व के साथ संकट से निपटने की कोशिश करती नजर आती हैं। उत्तराखंड में भी चुनाव से पहले जब प्रदेश कांग्रेस नेताओं का आपसी झगड़ा बढा तो इस मुश्किल को हल करने में प्रियंका ने पहल कर नाराजगी को खत्म किया। कांग्रेस नेताओं का मानना हैं कि प्रियंका गांधी का काम करने का अंदाज सहज है। वह सभी की बात बहुत गौर से सुनती हैं और सभी को साथ लेकर चलने की पूरी कोशिश करती हैं। जब भी किसी राज्य में कोई संकट या अंदरुनी कलह होती है, तो पार्टी नेता उनकी बात पर पूरा भरोसा करते हैं।
उत्तर प्रदेश के प्रभारी के तौर पर भी प्रियंका गांधी पूरा वक्त दे रही हैं। पहले दो चरण का मतदान हो चुका है और चुनाव प्रचार की कमान अकेले संभाल रही हैं। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अभी दूसरे प्रदेशों के चुनाव प्रचार में व्यस्त है। यूपी में अभी कई चरण का मतदान बाकी है। दूसरे प्रदेशों में मतदान के बाद पूरा फोकस उत्तर प्रदेश पर होगा।