कांगड़ा ( मृत्युंजय पुरी ): क्या टांडा अस्पताल में मिलीभगत से मरीज़ों को लूटा जा रहा है…? या फिर टांडा का स्वास्थ्य प्रबंधन खुद बीमार हो चुका है? ये सवाल इसलिए क्योंकि यहां आए दिन 8 से 10 मरीज़ों को निजी अस्पतालों के लिए भेजा जा रहा है। आरोप हैं कि मरीज़ जब यहां सीटी स्कैन और MRI करवाने पहुंचते हैं तो उनमें से कई मरीज़ों को कमीशन के चक्कर निजी अस्पताल या बाहर कहीं जाने के लिए कहा जाता है। अब ये सब कुछ एक डॉक्टरों की मदद से हो रहा है या फिर स्वास्थ्य प्रबंधन लचर हो चुका है इसका खुलासा जांच के बाद ही होगा।
फिलवक़्त के लिए अस्पताल में इलाज करवाने आए मरीजों ने आरोप लगाते हुए कहा कि डॉक्टर निजी अस्पताल का नाम लेकर वहां एमआरआई और सिटी स्कैन करवाने के लिए कहते हैं। अस्पताल में यह सेवाएं उपलब्ध होने के बाद भी मरीजों को निजी अस्पताल में अपनी कमीशन के चक्कर में डॉक्टर भेज रहे हैं। इससे गरीब जनता परेशान हो रही है और मरीज के परिजनों की मजबूरी का लाभ उठाया जा रहा है।
वहीं, प्रिंसिपल भानू अवस्थी से बात की गई तो उन्होंने कहा की अस्पताल की दोनों मशीनें काम कर रही हैं और अगर किसी को ऐसा कहा गया है कि निजी अस्पताल मे जाकर टेस्ट करवाए तो उसकी जानकारी हमारे पास आएगी। मामले में तुरंत कार्यवाही की जाएगी।
जानकारी जुटाने पर ये आया सामने
वहीं, इस बारे में जब जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि रोजाना हजारों मरीज़ इलाज करवाते हैं। MRI और सीटी स्कैन के लिए मरीज़ों को लंबी डेट मिलती है जिसके चलते वे जल्दी में करवाने की बात कहते हैं। इसी के चलते उन्हें बाहर किसी अस्पताल में करवाने के लिए कहा जाता है।
निजी में कितना आता है खर्च?
टांडा अस्पताल मे सिटी स्कैन का खर्चा 1300 के करीब आता है जबकि निजी अस्पताल मे 2500 से 10000 तक खर्च बैठता है। इसी तरह से सरकारी अस्पताल टांडा में MRI का खर्च 700 से 1500 रहता है जबकि निजी अस्पताल में 5000 से 10000 के बीच खर्च करना पड़ता है।
ग़ौरतलब है कि हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने टांडा में सीटी स्कैन मशीन का उद्घाटन किया था। MRI की सुविधा भी अस्पताल में सुचारू रूप से चल रही है… तो फ़िर किस बिनाह पर कुछ एक मरीज़ों को बाहर या फ़िर निजी अस्पताल में भेजा जा रहा है। अगर वाकेई में कुछ एक गंभीर मरीज़ जल्दी सीटी स्कैन या MRI करवाने के लिए कहते हैं तो इसमें कुछ सुविधाएं प्रबंधन को भी इमरजेंसी में करनी चाहिए ताकि उसकी जान भी बच सके और ज्यादा जेब पर भार भी न पड़े। और अगर हर कोई मरीज़ कम सुविधाओं के बीच अपनी बारी को जल्दी देखेगा तो शायद प्रबंधन और डॉक्टरों को इसी तरह के हथकंडे अपनाएगा। सरकार को जरूर यहां सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा करना चाहिए।