रूस और यूक्रेन के बीच जंग के बीच कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने भारत के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं। इस साल माह की शुरुआत में कच्चा तेल 14 साल के ऊंचे स्तर 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। हालांकि, शांति-वार्ता और चीन में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कच्चा तेल 100 डॉलर से नीचे आ गया है। इसके बावजूद भारत ने लंबी अवधि की रणनीति के तहत सस्ते तेल की खरीद के लिए चौतरफा कोशिशें शुरू कर दी हैं। बता दें भारत के पास 53 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल का रणनीतिक भंडार है, जो 9.5 दिन के खर्च के बराबर है।
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कच्चे लेत की बढ़ती कीमतों पर चिंता जताते हुए कहा है कि भारत सस्ते तेल की खरीद के लिए कई पहलुओं पर विचार कर रहा है। इसके तहत ईरान और वेनेजुएला से खरीद बढ़ाने की योजना है। इसके अलावा रूस के सस्ते तेल की पेशकश पर भी गंभीरता से विचार हो रहा है।
हरदीप सिंह पुरी ने कच्चे तेल के ऊंचे दाम से आने वाले समय में महंगाई बढ़ने को लेकर चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों का सबपर असर पड़ता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि रूस और यूक्रेन दोनों भारत के करीबी व्यापारिक साझेदार हैं और मौजूदा समय में किसी एक को तरजीह देना आसान नहीं है।
यूरोप और अन्य देशों को रूस बड़ी मात्रा में तेल निर्यात करता रहा है, लेकिन यूरोपीय देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद वह भारत को सस्ता तेल बेचने की संभावना तलाश रहा है। भारत का पेट्रोलियम मंत्रालय रूस से सस्ते तेल आयात की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार कर रहा है। बदली हुई रणनीति के तहत भारत अब ओपेक की बजाए ओपेक के सहयोगी देशों के तेल खरीद बढ़ाना चाहता है।
ईरान और वेनेजुएला से भारत पहले भी तेल खरीदता रहा है। लेकिन इन देशों पर वैश्विक प्रतिबंध की वजह से हाल के दिनों में तेल खरीद कम हुई है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान पर प्रतिबंध लगा हुआ था, लेकिन अब उसमें राहत मिलने की उम्मीद है। ऐसे में भारत ईरान से तेल खरीद को तरजीह देगा। साथ ही प्रतिबंधों में ढील के बाद वेनेजुएला से भी तेल खरीद की योजना है।
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने संसद में बताया है कि महाराष्ट्र और केरल समेत नौ राज्यों ने पेट्रोल-डीजल पर वैट नहीं घटाया है। वैट में कमी से तेल की कीमतें घटाने में मदद मिलती। उन्होंने यह भी कहा कि महामारी के दौरान कई देशों में ईंधन की कीमतों में 50% से अधिक की वृद्धि हुई है, लेकिन भारत में केवल पांच फीसदी की वृद्धि हुई। उन्होंने आशंका जताई कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति को और अधिक बढ़ा देगा। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं।