बाबा बर्फानी के दर्शनों के इच्छुक भक्तों के लिए अच्छी खबर है। कोरोना काल के चलते करीब दो साल बाद अमरनाथ यात्रा को मंजूरी मिल गई है। यात्रा 30 जून से शुरू होगी और 45 दिनों तक चलती रहेगी। हालांकि यात्रा के दौरान भक्तों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। अमरनाथ यात्रा के लिए 11 अप्रैल से ऑनलाइन पंजीकरण शुरू होगा। सरकार यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं की मूवमेंट पर नजर रखने के लिए इस बार आरएफआईडी सिस्टम शुरू करने जा रही है।
अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने फैसला लिया है कि यात्रा दोनों मार्गों, अनंतनाग जिले में पहलगाम ट्रैक और गांदरबल जिले के बालटाल से एक एक साथ शुरू होगी। रोजाना 10 हजार तक श्रद्धालुओं को भेजने का फैसला लिया गया है। इसमें से हेलीकॉप्टर के माध्यम से जाने वाले श्रद्धालु अलग से होंगे। बलटाल से दोमेल तक 2.75 किलोमीटर लंबे ट्रैक में यात्रियों को निशुल्क बैटरी कार सेवा मुहैया करवाई जाएगी। इस बार श्राइन बोर्ड ने यात्रा के लिए आवास की क्षमता, स्वास्थ्य सुविधाएं, दूरसंचार सुविधाएं, हेली सेवाएं, एसएएसबी ऐप, पोनीवालों के लिए एक साल का बीमा देने का फैसला लिया है।
बता दें कि कोरोना के चलते बीते दो सालों से अमरनाथ यात्रा का आयोजन नहीं हो पाया । हालांकि इस दौरान पवित्र गुफा में वैदिक मंत्रोच्चार से साथ बाबा अमरनाथ की पूजा जारी थी। अब जब देश में कोरोना के मामले घट गए हैं तो अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने यात्रा करवाने का फैसला लिया है।
जानिए क्या है मान्यता-
हिमालय की गोद में स्थित बाबा अमरनाथ की गुफा चमत्कारिक मानी जाती है। गुफा के बारे में बात करें तो ये 19 मीटर लंबी, 16 मीटर चौड़ी और इसकी ऊंचाई 11 मीटर है। बाबा अमरनाथ की गुफा में प्राकृतिक तरीके से बर्फ का शिवलिंग तैयार होता है। इसलिए इसे भक्त स्वयंभू हिमानी शिवलिंग और बाबा बर्फानी के नाम से भी पुकारते हैं।
मान्यता है कि ये दुनिया में अकेला ऐसा शिवलिंग है जिसका आकार चंद्रमा की रोशनी के आधार पर तय होता है। सावन में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन ये शिवलिंग पूरा हो जाता है। फिर अमावस्या तक इसके आकार में कमी आती जाती है। कहा जाता है कि शिवलिंग को एक मुस्लिम शख्स ने खोजा था। आज भी उसके वंशजों को चढ़ावे और दान की राशि का एक हिस्सा दिया जाता है।