पी.चंद, शिमला।
आजकल चंडीगढ़ में हिस्सेदारी को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच सियासत गरमाई हुई है। इसी बीच हिमाचल ने भी अपने 7.19 फ़ीसदी हिस्से पर दावेदारी ठोक दी है। 1966 में पंजाब पुनर्गठन के समय चंडीगढ़ में हिमाचल की भी 7.19 की हिस्सेदारी तय की थी। लंबी लड़ाई के बावजूद हिमाचल को अभी तक हिस्सा नहीं मिल पाया है। लेकिन अब पंजाब और हरियाणा की लड़ाई में हिमाचल भी कूद पड़ा है। सबसे पहले पूर्व सांसद डॉ. राजन सुशांत ने चंडीगढ़ सहित, बीबीएमबी और शानन प्रोजेक्ट में हिमाचल की हिस्सेदारी की जोरदार मांग उठाई है।
पूर्व सांसद ने चंडीगढ़ सहित बीबीएमबी और शानन विद्युत प्रोजेक्ट में हिमाचल के हिस्से की जोरदार मांग उठा दी है। चंडीगढ़ में हिमाचल की 7.19 हिस्सेदारी और बीबीएमबी में 15 हज़ार करोड़ की हिस्सेदारी को लेने के लिए सभी दलों से एकजूट होने का आह्वान किया है। इसको लेकर 15 अप्रैल से पहले विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की भी मांग उठाई गई है। ऐसा न करने की स्थिति में डॉ राजन सुशांत ने प्रदेश में आंदोलन खड़ा करने की चेतावनी दी है। राजन सुशांत ने शानन प्रोजेक्ट में हिस्सा न मिलने के स्थिति में जबरन कब्जे की भी धमकी दी है।
वहीं कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने भी चंडीगढ़ में अपनी हिस्सेदारी की मांग को जायज़ ठहराया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकारें भी समय समय पर हिमाचल के हिस्से की मांग उठाते रही हैं। लेकिन क़ामयाबी नहीं मिल पाई है। यदि वर्तमान सरकार इस मसले को उठाएगी तो कांग्रेस पार्टी सरकार के साथ खड़ी है।
उधर हिमाचल सरकार में संसदीय कार्य और शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि 1966 में जब पंजाब पुनर्गठन एक्ट के तहत हरियाणा बना उस समय हिमाचल की 7.19 फ़ीसदी हिस्सेदारी तय की गई थी जो आजतक हिमाचल को नहीं मिल पाई। हरियाणा और पंजाब अपने हक़ की मांग उठाएं लेकिन हिमाचल का हक़ भी दें। 2011 में सर्वोच्च न्यायालय ने भी हिमाचल का हिस्सा देने की बात कही। जो हिमाचल को मिलना चाहिए।