हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में एचआरटीसी बस हादसे में दो लोगों की मौत हो चुकी है. हादसे में 13 साल का बच्चा और 32 साल का ड्राइवर नंद किशोर काल का ग्रास बना है. नंद किशोर ने 11 माह पहले ही नौकरी ज्वाइन की थी. 2 साल की उम्र में पिता को खोने वाले चालक नंद किशोर ने बस के ब्रेक फेल होने के बाद उसे पहाड़ी की तरफ मोड़ दिया था और 38 लोगों की जान बच गई थी. अब नंद किशोर के लिए सोशल मीडिया पर आवाज उठी है. 32 साल के नंद किशोर के परिजनो को मुआवजा देने के लिए सोशल मीडिया पर आवाज उठ रही है. क्योंकि नंद किशोर गरीब परिवार से है और उसके अब दो बच्चे हैं.
एचआरटीसी चालक संघ के पदाधिकारी मान सिंह ने शिमला में सरकार को मामले में जमकर घेरा. उन्होंने कहा कि एचआरटीसी के चालकों ने अपनी जेब से पैसे देकर 55 हजार रुपये नंद किशोर के परिजनों को सौंपे हैं. वहीं, पचीस हजार रुपये पीजीआई में भर्ती कंडक्टर को दिए गए हैं. लेकिन सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं दी गई है.
वहीं, खराब बसों का मुद्दा भी यूनियन पदाधिकारियों ने उठाया और कहा कि 40 फीसदी बसें चलाने के लायक नहीं है. उन्होंने कहा कि सीएम ने घायलों से भी मुलाकात की थी, लेकिन मदद के नाम पर कुछ नहीं दिया गया है. चार साल में एक भी नई बस नहीं खरीद नहीं की गई है. वर्कशॉप में स्पेयर पार्ट नहीं और जुगाड़ से बसें चलाई जा रही हैं. पदाधिकारियों ने कहा कि समय पर वेतन भी नहीं मिल रही है.
दरअसल, मंडी के सुंदरनगर में जहरीली शराब पीने से 7 लोगों की मौत हो गई थी. इन लोगों के परिवारों को सरकार की ओर से 8-8 लाख रुपये देने का एलान किया गया था. अब लोग सवाल उठा रहे हैं कि नकली शराब पीने वालों को सहायता दी जा सकती है तो फिर 38 जानें बचाने वाले नंद किशोर को क्यों नहीं?
मनाली से शिमला जा रही है एचआरटीसी की बस मंडी जिले के पंडोह के पास हादसे का शिकार हो गई थी. इसमें 2 लोगों की मौत और 37 लोग घायल हुए थे. बस हाईवे पर अनिंयत्रित हो गई थी और पहाड़ से टकरा गई थी.शुरुआती जानकारी में पता चला है कि तकनीकी खराबी के चलते बस में दिक्कत हुई थी. हालांकि, अभी जांच की जा रही है.