मृत्युंजय पुरी। तिब्बत की स्वायत्तता के लिए पिछले 62 साल से भारत में मौन संघर्ष कर रहे बौद्ध भिक्षुओं के मठों के दरवाजे दो साल बाद खुल गए हैं। कोरोना महामारी का असर कम होने पर तिब्बती बौद्ध मठ पर्यटकों और आम लोगों के लिए खुले हैं। इस साल 3 मार्च को लोसर पर्व शुरू होने पर तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा का मंदिर पर्यटकों के लिए खोला गया था। इसके बाद खुद दलाईलामा करीब दो साल बाद पहली बार मंदिर में प्रवचन के लिए बाहर आए थे।
दलाईलामा के बाहर आने के बाद धर्मशाला में तिब्बत के तीसरे बड़े धर्मगुरु करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे का बौद्ध मठ खुला। इसके साथ ही देश भर में निर्वासित तिब्बत सरकार के पास पंजीकृत करीब 288 बौद्ध मठों के दरवाजे पर्यटकों और आम लोगों के लिए खोल दिए गए। कोरोना काल में बंद होने के चलते कई बौद्ध मठ आर्थिक तंगी झेल रहे थे।
दलाईलामा के निजी सचिव सेटन सामदुप ने बताया कि मुख्य बौद्ध मंदिर खोल दिया गया है। मठों को खोलने का निर्णय मठ प्रबंधन लेते हैं। धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बत सरकार में संस्कृति मंत्रालय की सचिव चेमी ला ने बताया कि देश भर में 288 तिब्बती बौद्ध मठ पंजीकृत है ।
सभी बौद्ध मठ खोल दिए गए हैं। तिब्बती सेटलमेंट के अधिकारी कुंगा सेरिंग ने बताया कि हिमाचल में सभी बौद्ध मठ दो साल बाद खुल गए हैं।