हिमाचल में हो रहे अवैध निर्माण को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हिमाचल हाईकोर्ट ने इस संबंध में प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर 9 मई तक जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने ये आदेश हितांशु जिष्टु नाम के शख्स द्वारा दायर याचिका पर जारी किए हैं। याचिकाकर्ता का आरोप है कि आवास और वाणिज्यिक परिसरों के अनिश्चित, तर्कहीन और अनियंत्रित निर्माण के कारण पूरा हिमाचल प्रदेश खतरे में आ गया है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि अवैध निर्माण, मलबे के अवैध निपटान ने क्षेत्र की पर्यावरण योजनाओं को बिगाड़ दिया है। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि ये हजारों अनधिकृत निर्माण रातों रात नहीं किए गए हैं और सरकारी तंत्र अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि उत्तरदाताओं ने फिर से टाउन एंड कंट्री प्लानिंग रूल्स को अधिसूचित और संशोधित किया है, जो हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णयों को वस्तुतः रद्द कर देता है।
याचिकाकर्ता ने आगे आरोप लगाया है कि प्रतिवादी राज्य शिमला योजना क्षेत्र के साथ-साथ राज्य के अन्य योजना क्षेत्रों के लिए विकास योजना को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है और शिमला की ऐसी मसौदा विकास योजना को अधिसूचना दिनांक 08.02.2022 द्वारा पहले ही अधिसूचित किया जा चुका है। उत्तरदाताओं द्वारा अधिसूचित मसौदा विकास योजना भी राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा जारी टिप्पणियों और निर्देशों के विपरीत है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि अधिसूचना दिनांक 14.02.2022 द्वारा अधिसूचित विकास योजनाओं की अधिसूचना का अनधिकृत निर्माण के संबंध में प्राप्त आवेदनों और संबंधित प्रावधानों के तहत जिन मालिकों और कब्जाधारियों को नोटिस जारी किए गए हैं, उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों या उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अध्यक्षता में न्यायालय निगरानी समिति के गठन के लिए प्रार्थना की है, ताकि एक तथ्य खोज जांच शुरू की जा सके और बाद में उन अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके जिनके कार्यकाल के दौरान अनधिकृत पूरे राज्य में निर्माण और विचलन हुआ।