जलजनित रोगों की रोकथाम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग और जल शक्ति विभाग मिलकर काम करने जा रहें हैं। इसके लिए बुधवार को जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह और स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल ने जल जांच किटयूक्त जीवनधारा मोबाइल मेडिकल यूनिट को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। ये मोबाइल मेडिकल यूनिट प्रदेश के पेयजल स्रोतों और वितरण प्रणाली से नमूनों की जांच करेगी ताकि पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।
इसके लिए प्रदेश में प्रयोगशालाओं का सुदृढ़ ढांचा तैयार किया जा रहा है। अभी तक 60 प्रयोगशालाएं स्थापित की जा चुकी हैं, जिनमें से सात इसी वर्ष स्थापित की गई हैं। इन प्रयोगशालाओं में से 50 को उच्च मानकों के आधार पर राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) से मान्यता मिल चुकी है। इसी कड़ी में प्रदेश के दुर्गम, दूर-दराज और सुविधा के अभाव वाले क्षेत्रों में जल गुणवत्ता को और पुख्ता करने के लिए अब जल शक्ति विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने साझा प्रयास के लिए सहमति जताई है।
जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि 15 मार्च, 2022 को जल शक्ति विभाग व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के मध्य दोनों विभागों के दायित्व को सुनिश्चित करते हुए एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया जा चुका है। जल शक्ति विभाग आरम्भ में पांच अत्याधुनिक मोबाइल टैस्ट किट उपलब्ध करवा रहा है, जिनमें आधुनिक उपकरण भी शामिल हैं। इस पेयजल जांच किट के माध्यम से सात जरूरी मापदण्डों का भौतिक, रसायनिक और जीवाणु परीक्षण किया जाएगा और एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से इसके परिणाम सांझा किए जाएंगे। जीवनधारा वैन में तैनात प्रयोगशाला तकनीशियन को पेयजल जांच किट के संचालन का प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा चुका है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की जीवनधारा मोबाइल वैन प्रदेश के दूर-दराज क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के रूप में कार्य कर रही हैं। उन्हीं क्षेत्रों में से पांच जिलों शिमला, सोलन, मण्डी, चंबा और कांगड़ा जहां जलजनित रोगों की पूर्व में घटनाएं हो चुकी हैं, उन स्थानों पर जल गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने के लिए जल शक्ति विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने यह साझा प्रयास शुरू किया है ताकि स्वास्थ्य जांच के साथ-साथ इन क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता जांच कर जलजनित रोगों की रोकथाम के लिए कार्य किया जा सके।