मंडी जिला के सुंदरनगर में तीन महीने पहले जहरीली शराब पीने से सात लोगों की मौत के मामले के तार सिरमौर की जिस फर्म द्वारा ब्लैक मार्किट में 8 करोड़ रुपए की स्पिरिट की सप्लाई से जुड़े थे, उस मामले में पुलिस द्वारा दर्ज FIR पर अब तक कोई प्रगति न होने से हिमाचल पुलिस और एक्साइज डिपार्टमेंट की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
उक्त फर्म द्वारा स्पिरिट (आमतौर पर शराब तैयार करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली) की आपूर्ति अवैध शराब के निर्माण से जुड़ी होने का संदेह है, जिसने सुंदरनगर में सात लोगों के जीवन का लील लिए थे। इस कांड के बाद सिरमौर जिले के कालाअंब इंडस्ट्रियल एरिया स्थित डच फार्मूलेशन नामक फर्म के मालिक अनिकेत जैन पर एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन आरोप है कि जांच सुस्त चाल चल रही है। पुलिस विभाग देरी की जिम्मेदारी एक्साइज विभाग पर डाल रहा है।
वहीं, एसपी सिरमौर ओमापति जम्वाल ने सम्पर्क करने पर कहा कि जांच इसलिए आगे नहीं बढ़ सकती है क्योंकि एक्साइज विभाग कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवा रहा है। इस मामले में एक्साइज विभाग के अफसरों से बार बार सम्पर्क करने के प्रयास नाकाम रहे। जांच में प्रगति के बारे में संबंधित आबकारी अधिकारियों को भेजी प्रश्नावली और एसएमएस का भी कोई जवाब नहीं दिया गया।
देरी पर सवाल उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजेश शर्मा ने आरोप लगाया कि इस केस में कुछ सरकारी अधिकारियों की आरोपियों के साथ मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस केस में अहम दस्तावेज नष्ट भी किए जा सकते हैं।
दोषियों को नहीं छोड़ेंगे: सीएम जयराम
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि मामले के दोषियों को कोर्ट में खड़ा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अपराधियों को बचाने की कोशिश कर रहे अधिकारियों को भी नहीं बख्शा जाएगा। जयराम बोले “मामला हमारे संज्ञान में है और हम आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने जा रहे हैं। कोई भी सरकारी अधिकारी अपराधियों की रक्षा करने का दोषी पाया जाता है, तो उससे भी सख्ती से निपटा जाएगा”।
फ़र्ज़ी बिलों के जरिये खरीदी 8 करोड़ की स्पिरिट
एफआईआर के अनुसार आरोपी फर्म ने नकली बिलों के माध्यम से कालाबाजारी कर 8 करोड़ रुपये की स्प्रिट खरीदी थी। पुलिस जांच के दौरान आरोपी फर्म के मालिक खरीद का ब्योरा नहीं दे सके। सिरमौर की फर्म हरियाणा के अंबाला में स्थित सहयोगी फर्म ने हिमाचल में धर्मशाला के सीएमओ दफ्तर और जिला कांगड़ा के पपरोला स्थित आयुर्वेदिक अस्पताल को सेनेटाइजर सप्लाई करने का जिक्र बिलों में किया था जोकि फ़र्ज़ी साबित हुआ। जांच के दौरान सेल-परचेज में भी 3 करोड़ रुपए से अधिक का अंतर मिला।