वाराणसी के पहड़िया मंडी से ईवीएम बाहर भेजे जाने को लेकर लगभग 10 घंटे तक बवाल चलता रहा. इसके बाद रात लगभग 1.30 बजे प्रशासन और समाजवादी पार्टी समेत अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं में सहमति बन सकी. जानकारी के अनुसार कई चरणों में चुनाव प्रेक्षक की उपस्थिति में चली बैठक में अंत में तय किया गया कि ईवीएम की जांच की जाए.
वहीं अधिकारियों ने भरोसा दिया कि इसके बाद भी गड़बड़ी मिली तो चुनाव निरस्त किया जाएगा. इसके बाद गाड़ी से सभी 20 ईवीएम उतार कर अंदर ले जाई गईं और जांच करने पर पता चला कि उसमें बटन पर चुनाव निशान की जगह अल्फा, बीटा, गामा आदि प्रतीक चिन्ह मिले. जांच प्रक्रिया देर रात दो बजे तक चली और यह बात सामने निकलकर आई कि वो डेमो मशीनें थी, यानी उनका इस्तेमाल ट्रेनिंग के लिए हुआ था. इसको लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने प्रेस नोट भी जारी किया है.
बैलेट यूनिट और कंट्रोल यूनिट खोल कर भी लोगों को दिखाया गया, साथ ही वीवीपैट भी प्रत्याशियों के सामने प्रदर्शित किया गया. उसमें किसी प्रकार की पर्ची और पेपर रोल नहीं मिला. हालांकि सभी मशीनों की जांच को लेकर प्रत्याशी दबाव बनाते रहे तो प्रशासन रैंडम चेकिंग पर पर ही अड़ा रहा. ईवीएम के बैलेट यूनिट व कंट्रोल यूनिट के नंबर न दिए जाने का सवाल उठाए जाने पर इसे तत्काल उपलब्ध कराने के लिए कर्मियों को बुलाया गया. बताते चलें कि इस पूरी प्रक्रिया से डीएम व कमिश्नर को दूर रखा गया.
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