<p>अपनी दो साल की बेटी से रेप करने के आरोप में सजा काट रहे व्यक्ति को प्रदेश हाईकोर्ट ने निर्दोष करार देते हुए रिहा कर दिया है। 12 अप्रैल, 2016 को निचली अदालत ने व्यक्ति को 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने कहा न सिर्फ पुलिस बल्कि ट्रायल कोर्ट ने भी तथ्यों और परिस्थितियों को बारीकी से जांच नहीं की। इसके कारण एक बेकसूर आदमी को सजा हो गई और पिता-पुत्री के पवित्र रिश्ते पर सवाल खड़े हो गए।</p>
<p>हाईकोर्ट ने पाया कि इस मामले की शिकायतकर्ता मां ने अपने पति को दुष्कर्म जैसे झूठे केस में फंसा दिया और पुलिस वालों ने भी मामले की तह तक जाने की जहमत नहीं उठाई। पुलिस ने यह नहीं देखा कि शिकायतकर्ता अपने पति से अलग क्यों रह रही थी और पीड़ित के पिता और भाई पर भी यौन शोषण की झूठी शिकायतें दर्ज करवाई थीं।</p>
<p>इसके बाद निचली अदालत ने भी साक्ष्यों को गंभीरता से नहीं परखा, जिसका नतीजा यह हुआ कि एक निर्दोष को सजा तो हो गई। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों मे पुलिस, अभियोजन पक्ष और जज को कानून के सिद्धांतों का पालन करेंगे, ऐसी उम्मीद की जाती है और आइंदा से ऐसा न किए जाने की बात कही है।</p>
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