<p>कोविड-19 के खतरे से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण कुल्लू जिला के विभिन्न भागों में फंसे लाहौल घाटी के किसानों के लिए शनिवार का दिन बड़ा सुकून लेकर आया। शनिवार को कुल्लू से 23 वाहनों में 138 किसानों को लाहौल के लिए रवाना किया गया। कृषि मंत्री डॉ. मारकण्डा ने बताया कि शुक्रवार को उन्होंने अधिकारियों सहित स्वयं रोहतांग पहुंचकर सड़क का जायजा लिया। रोहतांग से महज तीन किलोमीटर पीछे तक सड़क छोटे वाहनों की आवाजाही के लिए उपयुक्त पाई जाने पर उन्होंने तुरंत घाटी के लोगों के लिए वाहनों की व्यवस्था और सुरक्षा की दृष्टि से अन्य सभी व्यवस्थाएं कर दीं। उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम कोरोना संकट के एहतियाती उपायों पर ध्यान दिया गया। कुल्लू की ओर से कोठी में और लाहौल घाटी के कोकसर में घाटी में प्रवेश करने वाले सभी लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग और स्वास्थ्य चैक-अप की व्यवस्था की गई।</p>
<p>मारकण्डा ने बताया कि कुल्लू से 23 वाहनों की व्यवस्था करके 138 लोगों को इनमें रवाना किया गया। स्वास्थ्य स्क्रीनिंग के दौरान पांच लोगों को अस्वस्थ पाए जाने पर उन्हें कोठी से वापस भेजा गया और इस प्रकार 133 लोग शनिवार को लाहौल घाटी पहुंचे। बता दें कि डा. मारकण्डा ने राहनी नाला से लेकर रोहतांग को स्वयं लोगों के साथ पैदल पार किया और लोगों का हौंसला बढ़ाया। जनजातीय विकास मंत्री ने बताया कि लाहौल में तीन मुख्य घाटियां हैं जहां अलग-अलग समय में बीजाई का कार्य किया जाता है। सबसे पहले पट्टन घाटी के किसानों की सूची बनवाकर उन्हें रोहतांग पार पहुंचाया गया। इसी क्रम में सभी किसानों को लाहौल घाटी पहुंचाया जाएगा।</p>
<p>उन्होंने कहा कि लाहौल घाटी में सीमित सीजन के चलते केवल एक फसल होती है जिसपर लोगों की आजीविका और आर्थिकी निर्भर है। उन्होंने कहा कि बाहरी मजदूरों के अभाव में इस बार लाहौल घाटी के लोगों को स्वयं फसल का कार्य करना है, इसलिए किसानों का अपने घर पहुंचना अत्यावश्यक है। उन्होंने घाटी के किसानों से आग्रह किया है कि वह अपने साथ किसी अन्य बाहरी व्यक्ति को न लेकर जाएं। इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। हालांकि घाटी जाने वाले लोगों की सूची हैलीकाॅप्टर लाईजनिंग अधिकारी द्वारा तैयार की जा रही है। किसानों को घाटी पहुंचाने का सिलसिला लगातार जारी रहेगा।</p>
<p>कृषि मंत्री ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हर वक्त किसानों – बागवानों की चिंता करते हैं। कृषि कार्यों को करने की छूट देना उनकी संवेदनशीलता को दर्शाता है। मारकण्डा ने घाटी में प्रवेश कर रहे सभी किसानों से सोशल डिस्टेन्सिग के मानदण्डों का पालन करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि दर्रा पैदल करते समय सभी लोगों ने एक से तीन मीटर तक की सामाजिक दूरी बनाकर रखी। सभी लोग नाक व मुंह ढके हुए थे।</p>
<p>शनिवार को रोहतांग पार जाने वाले तिंगरेट के किसान प्रेम लाल, तमलू के विक्की, बीलिंग के रमेश, ठोलंग गांव के राजेन्द्र तथा कोरजिंग के जीवन ने बताया कि उन्हें अपने घर पहुंचने पर जो खुशी मिली है इसका शब्दों में इजहार नहीं कर सकते, क्योंकि अब उनके खेत वीरान नहीं रहेंगे। इन सभी ने डॉ. मारकण्डा का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘हमारे विधायक पिछले कई दिनों से इस बात की चिंता कर रहे हैं कि किस प्रकार किसानों को उनके घर पहुंचाया जाए।’ प्रेम लाल ने बताया कि रोहतांग पर मंत्री पैदल चले और कई लोगों को बर्फ पर पैदल चलते समय सहारा भी दिया।</p>
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