<p>उत्साह और कुछ कर गुजरने की चाह हो तो इंसान क्या नहीं कर सकता। पहाड़ भी हौसले के आगे बौने पड़ जाते हैं। ऐसा ही उत्साह मणिमहेश की यात्रा पर जा रहीं तीन महिला श्रद्धालुओं में देखने को मिल रहा है। तीनों महिला श्रद्धालु नंगे पांव 16800 फीट ऊंचे कुगती दर्रे को पार कर 88 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा कर भोले शंकर के द्वार मणिमहेश के लिए लाहौल-स्पीति जिले के त्रिलोकीनाथ से रवाना हुई हैं।</p>
<p>नंगे पांव यात्रा में शामिल पूनम ने बताया कि दुर्गम सफर के दौरान बारिश होने पर मुसीबतें और भी बढ़ जाती हैं। जगह-जगह पत्थरों का गिरना और उबड़-खाबड़ और संकरे मार्ग चुनौतियों से कम नहीं।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>कठिन परिस्थितियों के बीच खुले आसमान तले गुजारनी पड़ती हैं रातें</strong></span></p>
<p>आक्सीजन की दिक्कत और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई भी इंतजाम नहीं है, लेकिन मन में मुरादें और भक्ति के आगे इन महिला भक्तों के हौसले बुलंद हैं।त्रिलोकीनाथ से मणिमहेश तक पैदल यात्रा में इन भक्तजनों को पांच से छह दिन का एकतरफा लगेंगे। यात्रा में कठिन परिस्थितियों के बीच खुले आसमान तले रातें भी गुजारनी पड़ती हैं। इस जत्थे में कुल 12 महिलाएं हैं। लाहौल के ऐतिहासिक पौरी मेले के समापन होते ही त्रिलोकीनाथ से लाहौल एवं कुल्लू के सैकड़ों भक्तों का जाना शुरू हो गया है।</p>
<p>मंगलवार को यह जत्था बाबा मणिमहेश का जयघोष करते हुए खोलडु पधर से आगे बढ़ गए हैं। जत्थे में शामिल अन्य महिला श्रद्धालु अर्चना और कमला ने बताया कि अब आगे परिस्थिति कितनी भी मुश्किल क्यों न हो, भक्ति के आगे उनके कदम बिल्कुल नहीं डगमगाएंगे।</p>
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