<p>हिमाचल फल उत्पादक संघ ने हिमाचल प्रदेश के लिए आए 1134 करोड़ का बागवानी प्रॉजेक्ट को लेकर आशंका ज़ाहिर की है। संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि सात साल के लिए आए इस प्रोजेक्ट का से दस फीसद पैसा कंसल्टेंसी पर खर्च कर दिया। ये राशि 100 करोड़ बनती है। जो कि सवालों के घेरे में है। यदि ऐसा ही चला तो फिर बागवानी योजनाओं के लिए आगे से पैसा नही आएगा।</p>
<p>वहीं जो सेब के पौधे आए वह भी ख़राब पाए गए। अब भी बागवानी विभाग गहरी नींद सोया हुआ है ओर विभाग के सुस्त एवम लेटलतीफी के चलते ये प्रोजेक्ट खत्म होने के कगार पर है। 4166 करोड़ रुपया बागवानी के लिए आया है। लेकिन सरकार इसको जमीन पर नही उतार पा रही है। सरकार इस पैसे का आवंटन क्लस्टर के आधार पर न देकर छोटे किसानों को दिया जा जाए।</p>
<p>उन्होंने बताया कि वैसे तो सरकार कह रही है कि सेब की गाड़ियों पर कोई टैक्स नही लिया जा रहा है व बागवानों का टैक्स माफ हैं। लेकिन किन्नौर, शिमला विपणन कमेटी बागवानों से 3 रुपये प्रति पेटी ले रही है जो कि गलत है। इसके अलावा दूसरी प्रक्रिया भी बहुत पेचीदी कर दी है। बीमा के नाम पर यूनियन बागवानों को लूट रही है।</p>
<p>बागवानों को परेशान किया जा रहा है। हरीश चौहान ने सरकार से मांग उठाई की हिमाचल में बागवानों के हितों की सुरक्षा के लिए बागवान बोर्ड या आयोग बनाया जाए। उन्होंने बताया कि आज उनको अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ बोलते हुए शर्म आ रही है लेकिन वह बागवानों किसानों के हितों की लड़ाई जारी रखेंगे।</p>
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