Harned village natural farming: हमीरपुर जिले का हरनेड़ गांव प्राकृतिक खेती का एक प्रेरणादायक उदाहरण बनता जा रहा है। यहां के 59 किसानों ने करीब 218 बीघा भूमि पर रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग छोड़ते हुए प्राकृतिक खेती शुरू की है। इस पहल से न केवल फसलों में पौष्टिकता बढ़ी है, बल्कि पारंपरिक फसलों का संरक्षण भी हो रहा है। किसानों ने मोटा अनाज जैसे कोदरा, मंढल, कौंगणी के साथ-साथ दलहन और तिलहन फसलें उगाई हैं।
कृषि विभाग की आतमा परियोजना के अंतर्गत गांव के किसानों को दो-दो दिन का प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिसके बाद प्रगतिशील किसानों को कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर भी भेजा गया। परियोजना निदेशक डॉ. नितिन कुमार शर्मा ने बताया कि किसानों को देसी गाय खरीदने के लिए सब्सिडी दी गई और वे अब बीजामृत, जीवामृत, और अन्य प्राकृतिक खाद खुद घर पर ही तैयार कर रहे हैं। खरीफ सीजन में मक्की को 30 रुपये प्रति किलो की दर से बेचने पर किसानों को अच्छा मुनाफा हुआ है।
डॉ. नितिन कुमार शर्मा ने बताया कि प्रदेश सरकार की ओर से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के प्रयासों और न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति से अब हिमाचल के कई अन्य किसान भी इस दिशा में अग्रसर हो रहे हैं।
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