Follow Us:

हिमाचल का एक ऐसा गांव जहां पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान किया था चक्रव्यूह का निर्माण

जसबीर कुमार |

हिमाचल प्रदेश में 6 हजार साल पूर्व पांडवों ने अपना अज्ञात वास का समय गुजारा है। जिसके अवशेष प्रदेश के हर जिला में देखने को मिलते हैं। हमीरपुर जिला के राजनौंण में भी पांडवों ने अपना समय व्यतीत किया है। यहां अर्जुन ने चक्रव्यूह को समझने के लिए पत्थर की एक शिला पर उकेरा था जोकि आज भी राजनौंण में मौजूद है। कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान अर्जुन इसी चक्रव्यूह के जरिए अभ्यास किया करते थे।

इसके अलावा यहां पांडवों ने विशाल टियाले, पानी पीने के लिये नौंण और अधूरे मंदिर का निर्माण किया था जिसके प्रमाण आज भी मौजूद है। जिन्हें देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं। लेकिन सरकार की अनदेखी के चलते यह ऐतिहासिक धरोहर विलुप्त होने के कागार पर पहुंच चुकी है। स्थानीय लोगों ने पुरातत्व विभाग से इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की गुहार लगाई है ।

इतिहासकारों का मानना है कि देश में दो ही चक्रव्यूह हैं। एक चक्रव्यू वो जिसे महाभारत युद्ध के दौरान कौरवों द्वारा कुरुक्षेत्र में रचा गया…और दूसरा चक्रव्यूह वो जिसे अज्ञातवास के दौरान अभ्यास के लिए अर्जुन ने हमीरपुर के राजनौंण में शिला पर उकेरा था। सहायक आचार्य इतिहास हमीरपुर कॉलेज राकेश कुमार शर्मा का कहना है कि राजनौण का इतिहास पांडव काल से है और इसके प्रमाण आज भी मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि कुरूक्षेत्र की तरह हमीरपुर के राजनौण में भी चक्रव्यूह बना हुआ है।

बता दें कि राजनौंण में पांडवों द्वारा अज्ञात वास के दौरान बिताए गए कुछ समूय में अधूरे मंदिर का निर्माण किया था। जिसे मौजूदा समय में स्थानीय लोगों की मदद पूर्ण कर लिया गया है। राजनौंण में एक विशाल नौंण का निर्माण पांडवों द्वारा पीने के पानी के लिए किया गया था। जो आज भी इस स्थान पर देखा जा सकता है, मौजूदा समय मे इस नौंण से आईपीएच विभाग द्वारा विभिन्न गांवों के लिए पेयजल मुहैया करवाया जाता है। यही नहीं राजनौंण में पांडवों ने विशाल टियाले का भी निर्माण करवाया था जो अभी भी मौजूद हैं। मंदिर में आज भी पौराणिक बहुत बड़ी बड़ी पत्थर की शिलाएं देखी जा सकती हैं। लेकिन यह ऐतिहासिक धरोहर अनदेखी के चलते विलुप्ति के कागार पर पहुंच चुकी हैं। लोगों ने पुरातत्व विभाग से गुहार लगाई है कि ऐसी धरोहर का जीर्णोद्धार किया जाए।

राजनौण में आए हुए स्थानीय निवासी बलविन्द्र सिंह गुलेरिया ने बताया कि पांडवों के समय में आधा अधूरा मंदिर बनाया हुआ था और अज्ञात वास के दौरान सबकुछ बना है। उन्होंने बताया कि नौण के अलावा चक्रव्यूह बना हुआ था जो कि आज भी मौजूद है। उन्होंने बताया कि अज्ञात वास पूरा होने पर यहां से चले गए थे । नौण के साथ बने हुए चक्रव्यूह के बारे में बताया कि युद्व में कैसे विजय पाने के लिए चक्रव्यूह के बारे में बताया गया है। उन्होंने मांग की है कि मंदिर को संजोहने के लिए सरकार को प्रयास करने चाहिए।

वहीं, पवन कुमार ने बताया कि पांडवों के द्वारा जंगल के बीच में चक्रव्यूह की रचना की गई थी और महाभारत के समय में यह सब कुछ यहां पर बना हुआ है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि राजनौण की देखरेख के लिए काम किया जाए। कुलदीप कुमार ने बताया कि मंदिर में राजनौण बना हुआ है और काफी समय से मंदिर में आते हैं और मंदिर में मनोकामना पूर्ण होती है। उन्होंने बताया कि वे जालंधर में रहते है लेकिन हर साल मंदिर में माथा टेकने के लिए आते हैं।