हिमाचल प्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने अपने सियासी पैतरे अपनाते दिख रहे हैं. बीजेपी और कांग्रेस तो यहां मुख्य पार्टियां हैं ही, लेकिन अब आम आदमी पार्टी भी पंजाब के बाद हिमाचल में अपने सियासी जमीन तलाश रही है. आम आदमी पार्टी लगातार हिमाचल की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर जयराम सरकार को घेर रही है.
आप नेता कहीं स्कूलों से वीडियो बनाकर वायरल कर रहे हैं. तो कई नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हिमाचल की शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई दिखाने की कवायद में हैं. एक बार फिर प्रदेश अध्यक्ष सुरजीत ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी सरकार पर हमला बोला है. उनका कहना है कि आप सेल्फी प्रोग्राम चला रही है. इस मुहिम के जरिए सैकड़ों वीडियो स्कूल से आए हैं.
उन्होंने आरोप लगाए कि प्रदेश में 722 स्कूल ऐसे हैं जो एक कमरे चल रहे हैं. 2000 से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जिनमें सिर्फ एक शिक्षक है. सुरजीत ठाकुर ने सीएम के क्षेत्र सिराज के स्कूल का वीडियो दिखाया. उसके बाद मंत्री महेंद्र सिंह के क्षेत्र मंडी के स्कूल दिखाए. सुरेश भारद्वाज, सरवीन चौधरी, रामला मारकंडा समेत कई मंत्रियों के क्षेत्र के वीडियो दिखाकर आम आदमी पार्टी ने सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं.
उनका कहना है कि आम आदमी पार्टी शिक्षा मुद्दा बना रही है. इस बार का चुनाव शिक्षा के मुद्दे पर लड़ा जाएगा. उन्होंने बीजेपी के साथ कांग्रेस को भी घेरा और कहा कि दोनों ही पार्टियां शिक्षा के स्तर पर कुछ नहीं कर पाई हैं. उन्होंने कहा जब 7 साल में दिल्ली के स्कूल सही हो सकते हैं तो हिमाचल में ऐसा क्यों नहीं हो रहा. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं. इनकी नीयत साफ नहीं है. उन्होंने कहा स्कूलों में चपरासी खाना बना रहे हैं.
हालांकि आम आदमी पार्टी के आरोपों में कितना दम है ये तो आंकड़ों से ही पता चल पाएगा. सवाल ये भी है कि क्या आम आदमी पार्टी शिक्षा को अपना हथियार बना रही है? क्या हिमाचल में वाकाई शिक्षा का स्तर बदहाल है? आपको बता दें, दो साल कोरोना की वजह से हिमाचल के शिक्षा के स्तर बिगड़ा है. पूरे देश में हुए नेशनल अचीवमेंट सर्वे की रिपोर्ट ने हिमाचल के शिक्षा स्तर में गिरावट दर्शाई है. चिंताजनक यह है कि इस सर्वे में हिमाचल की स्थिति वर्ष 2017 में हुए सर्वे के परिणामों से भी बदतर हो गई है. शिक्षा में नंबर वन होने की डगर पाने के लिए अभी बहुत मुश्किलें शिक्षकों और अभिभावकों के समक्ष हैं. इस सर्वे में हिमाचल के सरकारी और प्राइवेट मिलाकर 1964 स्कूल शामिल थे और 43573 विद्यार्थियों और 8576 शिक्षकों का यह सर्वे हाल में हुआ है.
बच्चों का टेस्ट में प्रदर्शन देखें तो बेसिक ज्ञान से भी कम स्तर पर सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों का आंकड़ा चौंकाने वाला है. भाषा में कक्षा तीसरी के 32 प्रतिशत, कक्षा पांचवी के 22 प्रतिशत, आठवीं कक्षा के 14 प्रतिशत, दसवीं कक्षा की अंग्रेज़ी विषय में 16 प्रतिशत और आधुनिक भारतीय भाषा में 46 प्रतिशत बच्चों को आधारभूत ज्ञान भी नहीं है और गणित विषय में तीसरी के 26 प्रतिशत, पांचवीं कक्षा के 41 प्रतिशत, आठवीं कक्षा के 27 प्रतिशत, दसवीं कक्षा में 34 प्रतिशत और बच्चों को आधारभूत ज्ञान भी नहीं है.
पर्यावरण अध्ययन विषय में तीसरी के 24 प्रतिशत और 5वीं के 39 प्रतिशत विद्यार्थी बेसिक ज्ञान से वंचित हैं. विज्ञान विषय में कक्षा आठवीं के 33 प्रतिशत और दसवीं के 75 प्रतिशत बच्चे मौलिक ज्ञान से महरूम हैं जबकि सामाजिक अध्ययन विषय में कक्षा आठवीं के 47 प्रतिशत और दसवीं के 60 प्रतिशत बच्चे मौलिक ज्ञान से दूर हैं. कुल मिलाकर सामान्य बेसिक ज्ञान तक सीमित और बेसिक से कम ज्ञान वाले विद्यार्थियों का आंकड़ा कक्षा तीसरी में भाषा में 64 प्रतिशत, गणित में 67 प्रतिशत, पर्यावरण शिक्षा में 61 प्रतिशत, पांचवी कक्षा में भाषा में 64 प्रतिशत , गणित में 89 प्रतिशत , पर्यावरण शिक्षा में 77 प्रतिशत, आठवीं कक्षा में भाषा में 58 प्रतिशत, गणित में 81 प्रतिशत, विज्ञान में 71 प्रतिशत, सामाजिक अध्ययन में 85 प्रतिशत है.
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