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हमीरपुर: एक परिवार जिसने 13 साल से नहीं मनाया नया साल

नवनीत बत्ता |

पूरा प्रदेश में जहां नए साल की तैयारियां जोरों पर है। वहीं एक परिवार है जिसने पूरे 13 साल से नया साल नहीं मनाया। जिला हमीरपुर के गांव सेर के इस परिवार में जन्में शहीद कैप्टन मृदुल शर्मा ने महज 26 साल की उम्र में आंतकवादियों से लोहा लेते हुए शहादत प्राप्त की थी। कम उम्र में शहादत का जाम पीने वाले शहीद कैप्टन मृदुल शर्मा आज भी जिलावासियों के दिलों पर राज करते हैं। उनकी वीरता और अदम्य साहस की गाथा का गुणगान आज भी किया जाता है।

हमीरपुर के छोटे से गांव में हुआ जन्म

शहीद कैप्टन मृदुल शर्मा का जन्म 24 फरवरी 1978 को गांव सेर, डाकघर महल जिला हमीरपुर के पूर्व कर्नल जेके शर्मा के घर हुआ। उनकी शिक्षा भी हमीरपुर में ही हुई। मृदुल शर्मा ने वर्ष 1999 में बीएससी कंप्यूटर की पढ़ाई डिग्री कॉलेज से पूरी करने के साथ ही नवंबर महीने में IMA देहरादून से कमीशन प्राप्त कर भारतीय सेना 514एडी(आरटी) में आफिसर पद पर नियुक्ति पाई।

2003 में दिखाया था अदम्य साहस

15 जुलाई 2002 को उनकी पोस्टिंग 51 आरआर जम्मू कश्मीर के महार में हुई थी। जहां उन्हें कंपनी कंमाडर बनाया गया और कमान संभाली। 2003 में आतंकवादियों के सिक्रेट प्लान को क्रेक करते हुए भारी मात्रा में गोला बारूद बरामद किया। जिसके उन्हें लिए  सेना मेडल दिए जाने की घोषणा की गई। 31 दिसंबर 2003 की रात, भारी बारिश, तूफान के बीच आतंकवादियों का सर्च ऑपरेशन शुरू किया। जिसमें अचानक आतंकवादियों ने गोलाबारी शुरू कर दी। कैप्टन मृदुल उस समय टुकड़ी को लीड कर रहे थे, जिसमें उन्हें गोलियां लग गई।  गंभीर रूप से  घायल हुए मृदुल शर्मा ने 1 जनवरी 2004 को अंतिम सांस ली। कैप्टन मृदुल शर्मा महज 26 साल के थे।    

जिले में आज भी किया जाता है याद

सेना मेडल प्राप्त इस जवान की शहादत को याद कर जिलावासी स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं। शहीद के नाम पर एक चौक का नामकरण भी किया गया है। इसे शहीद मृदुल चौक के नाम से जाना जाता है। कम उम्र में सेना मेडल पाने वाले कैप्टन मृदुल शर्मा की यादगार में जिला में एक पार्क का निर्माण भी किया गया है।

गर्व है अपने बेटे पर

मृदृल शर्मा के पिता पूर्व कर्नल जेके शर्मा ने कहा कि मुझे गर्व है कि मेरे बेटा इस देश की सेवा करते हुए शहीद हुआ। हर नागरिक को इसे पहला कर्तव्य मानते हुए हमेशा देश की सेवा के लिए तत्पर रहना चाहिए।

शहीद हुए बेटे की शहादत को याद करते हुए मां सुदेश शर्मा कहती है कि मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ है। कश्मीर में मुठभेड़ में दुश्मनों को मारकर बेटे ने अपना फर्ज पूरा किया। यह कहते-कहते उनकी आंखें भर आती हैं।