<p>लंबी जद्दोजहद के बाद आखिरकार शिमला के मेयर और डिप्टी मेयर अपने पुराने टाऊन हॉल के कमरों में लौट आए है। 6 सिंतबर को हिमाचल उच्च न्यायालय के फ़ैसले के बाद निगम के मेयर एवं डिप्टी मेयर को यहां दफ्तर में बैठने की इजाज़त दी गई थी। वैसे तो मेयर और डिप्टी मेयर को पितृ पक्ष के श्राद्ध में कमरे मिल गए थे लेकिन दिसंबर में मेयर और डिप्टी मेयर का अढ़ाई साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है इसलिए अनहोनी के डर से नवरात्रों में डीसी ऑफिस से अपना दफ़्तर बदला।</p>
<p>ब्रिटिश शासनकाल के दौरान साल 1908 में बने इस ऐतिहासिक टाऊन हॉल में 2014 तक नगर निगम कार्यालय चल रहा था। इस दौरान सरकार ने इस भवन के मरम्मत करने का फैसला लिया। तत्कालीन सीपीआईएम मेयर के विरोध के बावजूद टाउनहाल खाली करवाया गया और निगम के सारे दफ्तर उपायुक्त कार्यालय परिसर में शिफ्ट कर दिए गए।</p>
<p>एशियन डेवलपमेंट बैंक की ओर से जारी आठ करोड़ रुपये से पर्यटन विभाग ने इसके रेनोवेशन का काम शुरू किया। यह काम 2017 तक पूरा होना था, लेकिन देरी के चलते यह काम अगस्त 2018 में जाकर पूरा हुआ। इसके बाद सामाजिक संगठनों ने आवाज उठाई कि इस ऐतिहासिक भवन में सरकारी दफ्तर खोलने के बजाए पुस्तकालय या फिर म्यूसियम खोला जाए। आखिरकार लंबी जद्दोजहद के बाद पूरा न सही मेयर और डिप्टी मेयर को यहां बैठने की जगह तो मिली।</p>
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