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हिमाचल का एक और जवान वतन के लिए कुर्बान, सिरमौर के आशीष ने दिया बलिदान

DESK |

  • मां संजो रही थी बेटे की शादी के सपने
  • लाल की इस तरह से खबर सुनकर हो गई बेजान

मां बेटे की शादी के सपने संजो रही थी कि बेटा छुट्टी पर आएगा तो जल्द ही उसकी सगाई कर दूंगी।
लेकिन उस मां को क्या पता था कि जिस बेटे की शादी के सपने देख रही है वो एक ही पल में बिखर जाएंगे। बेटे को अंतिम बार इस तरह तिरंगे में लिपटा देखेगी।

जी हां, हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले से बहुत ही दुखद खबर देखने को मिल रही है।
यहां गिरीपार क्षेत्र की शिवा पंचायत के भरली गांव का 25 साल जवान आशीष कुमार देश की सेवा करते हुए शहीद हो गया।

मां संतरो देवी जो बेटे के सिर पर सेहरा बांधने के सपने देख रही थी उनका यह सपना टूट गया।
जब उन्हें बेटे की शहादत की सूचना मिली तो उनका रो-रोकर बुरा हाल है। मानो उनकी दुनिया ही उजड़ गई हो.
जिस मां ने बचपन से अपने बेटे को चलना सिखाया और सोचा कि बुढ़ापे का सहारा बनेगा, लेकिन उस मां को क्या पता था कि एक दिन उसको तिरंगे में लिपटा देख रोना पड़ेगा।
बता दें कि जवान आशीष ने मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश में ‘ऑपरेशन अलर्ट’ के दौरान अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपनी जान देश के लिए कुर्बान कर दी।
आशीष की शहादत से जुड़वां भाइयों की जोड़ी भी टूट गई है। शहीद का जुड़वां भाई रोहित एक निजी कंपनी में सेवारत है। ग्रेनेडियर आशीष कुमार का जन्म 14 मार्च 1999 को हुआ था
और वे वर्तमान में 19 ग्रेनेडियर यूनिट में सेवारत थे। करीब 6 साल पहले आशीष सेना में भर्ती हुआ था।

शहीद आशीष के पिता स्वर्गीय श्याम सिंह का पहले ही निधन हो चुका है और अब परिवार में उनकी मां, बड़े भाई राहुल और जुड़वां भाई रोहित और बहन पूजा हैं। बहन पूजा बतौर वनरक्षक है। आशीष अपनी मां का लाड़ला था। शहीद आशीष की पार्थिव देह वीरवार शाम तक उनके पैतृक गांव पहुंचने की संभावना है।

बताया जा रहा है कि पार्थिव शरीर को बुधवार शाम तक दिल्ली तक हवाई मार्ग से लाया जा सकता है,
जिसके बाद वीरवार सुबह सैन्य सम्मान के साथ पार्थिव देह को पैतृक गांव के लिए रवाना किया जाएगा।

सैनिक कल्याण बोर्ड के उपनिदेशक मेजर दीपक धवन ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि 19 ग्रेनेडियर के कमांडिंग ऑफिसर से संपर्क में हैं, ताकि शहीद की पार्थिव देह जल्द से जल्द उनके पैतृक गांव लाया जा सके।

अगर हम बात करें इन जवानों की तो आज हम महफूज है तो इनकी बदौलत से ही है।
हिमाचल की कितनी मांओं के लाल वतन की रक्षा करते हुए कुर्बान हो गए हैं। देश के साथ-साथ हर युवा इनके बलिदान को मरते दम तक नहीं भूलेगा।