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धर्मशाला में नशे के खिलाफ कार्यशाला, पत्रकारों ने अपने अनुभव किए साझा

डेस्क |

धर्मशाला में गुंजन संस्था व हिमाचल धर्मशाला प्रेस क्लब के सौजन्य से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें विभिन्न मिडिया संस्थाओं के सदस्यों ने इस कार्यशाला में भाग लिया. इस कार्यशाला मे गुंजन संस्था से आये प्रवक्ता विजय कुमार ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग के संबंध में रोकथाम व नशा मुक्त होने और रहने के महत्व को बताया. उन्होंने बताया कि नशा एक ऐसा दीमक है जो युवाओं के शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक जीवन को खराब करता है. युवाओं को इससे बचना होगा. विजय ने कहा कि कोई भी रसायनिक पदार्थ जो हमारी शाररिक व मानसिक दशा को प्रभावित करता है ड्रग्स है.

बताया कि ड्रग्स के सेवन की शुरूआत शौक, उत्सुकता, मायाजाल, दोस्तों के बहकावे आदि अनेक कारणों से होती है. जो धीरे-धीरे आदत में बदलने के बाद व्यक्ति इसका आदी हो जाता है. वह अफीम, गांजा, चरस, स्मैक, हीरोइन व सीरिंज जैसे खतरनाक नशे को अपना कर जीवन बरवाद कर देता है. बताया कि व्यक्ति में ज्यादातर नशे की लत के लिए दोस्त व आसपास का वातावरण जिम्मेदार होता है. इसलिए, सही समय पर यदि युवाओं को उचित जानकारी प्रदान की जाये , तो स्थिति को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है. इसी हेतु बचाव शिक्षा, प्रदर्शनी आदि के माध्यम से संस्थान लगातार इन बच्चों को जागृत कर रहा है.

अधिक जिज्ञासा होने के कारण बच्चे सभी नयी चीजों से आकर्षित और प्रयोग करने के लिए उत्सुक रहते है, इसलिए नशे जैसी उत्तेजित करने वालों पदार्थो मे आसानी से फंस जाते है और दूसरी तरफ बॉलीवुड अभिनेताओं द्वारा लुभावनी बिल बोर्ड, विज्ञापन, होर्डिंग्स इन बच्चों पर बहुत गहरा प्रभाव डालते है जो उन्हें फिर से इसके प्रयोग के लिए और अधिक प्रेरित करते हैं.

इस दौरान प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष सुनील चड्डा, समाचार फर्स्ट के सम्पादक अमृत तिवारी, हिमाचल दस्तक के ब्यूरो जीवन ऋषि , IN हिमाचल के स्टेट ब्यूरो मृत्युंजय पुरी , दिव्यहिमाचल के ब्यूरो पवन शर्मा, न्यूज़ 18 से विचित्र शर्मा, चम्बा एक्सप्रेस से राकेश भारद्वाज, दैनिक जागरण से निराज व्यास , आपका फैसला के ब्यूरो सनी महाजन व अन्य मौजूद रहें पत्रकारों ने कहा कि नशा मनुष्य जीवन का नाश करता है. बेहतर जीवन के लिए नशे से दूर रहना ही समझदारी है.

नशा करने वाला व्यक्ति अपना कितना धन व सम्मान नशे में खो देता है, उसे स्वयं ही मालूम नहीं होता. नशे की लत छूटने उपरांत उसे इसके दुष्परिणामों का एहसास होता है तथा पश्चाताप करता है कि उसने यह नशे की लत पहले ही क्यों नही छोड़ी. व्यक्ति शौक के तौर पर नशीली वस्तुओं का सेवन करने लग जाता है तथा उसको स्वयं नहीं पता चलता कि उसका यह शौक कब आदत में तबदील हो जाता है. आज नशा मुक्ति केन्द्र के माध्यम नशे से दूर रहने का कार्य किया जाता है.

इसके अतिरिक्त नशा करने वाले व्यक्ति को अविश्वास की भावना से देखा जाता है. भावी पीढ़ी को नशा मुक्त समाज प्रदान करने के लिए हमें एकजुट हो कर इसको समाप्त करना होगा. वहीं नशा परिवार को तोड़ता है. नशा समाज को दूषित करता है. ऐसे में हम सभी का दायित्व है कि समाज को नशा मुक्त करने के लिए अपने-अपने स्तर पर काम करें. केन्द्र में सेवा के तौर पर एक परिवार की तरह नशे से पीडि़त व्यक्ति लत से छूटकारे के लिए कई कदम उठाए जाते है.