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क्या अभी भी खुले में घूम रहे हैं गुड़िया के असली गुनहगार? शांता ने उठाए सवाल

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह द्वारा कोटखाई गुड़िया मामले को छोटी घटना बताने के बाद एक बार फिर से ये मामला सुर्खियों में आ गया है। भाजपा इस मामले को लेकर प्रतिभा सिंह को घेर रही है….

मृत्युंजय पुरी |

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह द्वारा कोटखाई गुड़िया मामले को छोटी घटना बताने के बाद एक बार फिर से ये मामला सुर्खियों में आ गया है। भाजपा इस मामले को लेकर प्रतिभा सिंह को घेर रही है। इसी बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने भी गुड़िया मामले पर सवाल उठाए हैं। शांता कुमार का मानना है कि मामले के असली आरोपी आज भी खुले में घूम रहे हैं और एक गरीब चरानी को अपराधी बनाकर जेल में डाला गया है। ऐसे में उन्होंने प्रदेश सरकार से फिर से मामले की जांच करवाने की मांग उठाई है।

शांता कुमार ने बयान जारी करते हुए कहा, ‘गुड़िया कांड प्रदेश के माथे पर एक ऐसा कलंक है जो तब तक नहीं धुलेगा जब तक असली अपराधियों को सजा नहीं मिलती। कुछ सालों बाद अब इस पर फिर से राजनीति सक्रिय हो रही है। प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार इस प्रकार की घटना पर कोटखाई में जोरदार प्रदर्शन हुआ। 5 घंटे का जाम लगा, पुलिस थाने को आग लगा दी गई।’

शांता ने कहा कि प्रदेश के इतिहास में पहली बार इस प्रकार की घटना में सीबीआई ने पुलिस के 8 अधिकारियों को गिरफ्तार किया जिनमें प्रमुख अधिकारी भी शामिल थे। उनमें आईजी रैंक का एक अधिकारी अभी भी जेल में बंद है। हवालात में एक आरोपी सूरज की पुलिस की मारपीट से मौत हुई, बाद में एक गरीब चरानी नीलू को पकड़कर अपराधी बनाया गया और उसे सजा सुनाई। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि घटना के तुरंत बाद एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सोशल मीडिया पर आरोपियों के फोटो डाले थे जो बाद में हटा दिए गए।

उन्होंने कहा कि यदि एक गरीब चरानी ही अपराधी होता तो पुलिस द्वारा हवालात में एक गवाह सूरज की हत्या न करवाई गई होती। यदि गरीब चरानी ही अपराधी होता तो हिमाचल के इतिहास में पहली बार पुलिस के 8 अधिकारियों को जेल में न डाला जाता। कई सालों से आज तक आई रैंक का एक अधिकारी जेल में न होता। किसी बड़े अमीर परिवार के अपराधी को बचाने के लिए ही इतना कुछ हुआ। एक गरीब चरानी इतना बड़ा अपराध नहीं कर सकता था।

शांता ने कहा कि उस गांव के परिवार के लोग और हिमाचल के भी मेरे जैसे सब लोग भी यह समझते हैं कि गुडिया कांड में न्याय नहीं मिला है। कुछ लोग आरोप लगाते हैं कि असली अपराधी आज भी खुलेआम घूम रहे हैं। गुड़िया 15 साल की माता-पिता की बेटी थी। उससे बलात्कार हुआ और फिर अमानवीय तरीके से उसकी हत्या कर दी गई। यदि यह सच है कि अपराधी आज भी खुलेआम घूम रहे हैं तो उसकी परिवार और लोग क्या सोचते होंगे। उनके लिए आजादी के अमृत महोत्सव का कोई अर्थ नहीं है।

उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले मैंने एक सुझाव दिया था कि सीबीआई जांच के बाद भी असली अपराधी नहीं पकड़े गए तो हिमाचल सरकार असली अपराधियों को पकड़ने की एक बार और कोशिश करे। मैं हिमाचल प्रदेश के आईपीएस और आईएएस अधिकारियों को जानता हूं उन में बहुत योग्य और ईमानदार अधिकारी हैं, उन्हीं के सहारे आढ़ाई साल में मैंने इतने अधिक बढ़िया विकास के काम किए थे जिन्हें आज भी जनता याद करती है।

शांता ने सरकार से मांग की है कि वर्तमान और सेवानिवृत्त आईपीएस और आईएएस के ऐसे अत्यंत योग्य अधिकारियों की एक जांच समिति बनाई जाए और हिमाचल के माथे इस कलंक को मिटाने का प्रत्यन किया जाए। यदि अपराधी पकड़े गए तो हिमाचल का नाम होगा और हिमाचल के माथे से कलंक भी धुल जाएगा।