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सेना प्रमुख बोले- शिमला मेरा दूसरा घर, यहां आकर मिलती है खुशी, वॉकर अस्पताल को शीघ्र खोलने के करेंगे प्रयास

<p>सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे ने अपने हिमाचल दौरे के दौरान आज राजभवन में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से भेंट की। अपनी शिष्टाचारपूर्ण भेंट के दौरान, उन्होंने सेना व हिमाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों से जुड़े अनेक विषयों पर विस्तृत चर्चा की। &nbsp;सेना प्रमुख ने राजभवन परिसर में चिनार का पौधा भी रोपा। इस मौके पर, राज्यपाल ने चीन के साथ लगते हिमाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों में अधोसंरचना विकास पर बल दिया।</p>

<p>उन्होंने कहा कि सड़क, हैलीपैड व अन्य अधोसंरचना विकास में सेना की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि सीमा से सटे गांवों में युवा जनसंख्या को रोकने की आवश्यकता है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार व रोजगार के अवसर तलाशे जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्रों में करीब हर घर से जवान सेना में कार्यरत हैं। राज्य में सेवानिवृत सैनिकों की संख्या भी काफी है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को भी सेना में अवसर दिया जाना चाहिए। दत्तात्रेय ने शिमला के वॉकर अस्पताल का मामला भी सेना प्रमुख से उठाया।&nbsp;</p>

<p>सेना प्रमुख ने कहा कि वह इससे पूर्व शिमला में आरट्रेक में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और हिमाचल को वह अपना पुराना घर मानते हैं। इसलिए यहां आकर उन्हें बहुत खुशी मिलती है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना दुश्मन की हर नापाक कोशिश का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। जहां तक चीन के साथ लगती सीमा का प्रश्न है, बातचीत हो रही है और चिंता करने वाली कोई बात नहीं है। हमारी तरफ से व्यापक स्तर पर &lsquo;मैन एण्ड मैटीरियल&rsquo; तैनात है और सेना पूरी तरह सजग है। उन्होंने कहा कि सेना द्वारा अगले 5-10 वर्षों के लिए सीमा क्षेत्रों में सड़क निर्माण को लेकर योजना तैयार की गई है। सड़क निर्माण से इन क्षेत्रों में विकास भी तेजी से होगा और युवाओं का पलायन भी रूक सकेगा।&nbsp;</p>

<p>जनरल नरवणे ने कहा कि देश में सेना के प्रति युवाओं में काफी जोश है और बड़ी संख्या में युवा सेना में आने के लिए तत्पर रहते हैं। सेना की कोशिश है कि देश के जिन जिलों से सेना में प्रतिनिधित्व नहीं है वहां से युवाओं को मौका दिया जा सकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वाॅकर अस्पताल को शीघ्र ही आरम्भ करने की कोशिश की जाएगी।</p>

<p>उन्होंने कहा कि सख्त प्रोटोकॉल के कारण सीमा में तैनात सेना के जवानों में कोरोना के मामले नगण्य रहे। उन्होंने टेस्टिंग की संख्या को अधिक रखा और छुट्टी पूरी करने के बाद आने वाले सैनिकों को दो बार टेस्ट करवाकर 14-14 दिन की क्वरंटाइन अवधी पूरी करनी पड़ती है। जनरल नरवणे ने सीमावर्ती क्षेत्रों में &lsquo;नार्कोटेरोरीज़म&rsquo; पर भी चिंता व्यक्त की तथा कहा कि स्थानीय स्तर पर प्रशासन इस दिशा में बेहतर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि सेना में महिला अधिकारी पहले से कार्यरत हैं लेकिन अब मिलिट्री पुलिस में भर्ती शुरू की है। धीरे-धीरे इसे बढ़ाया जा रहा है। इस दिशा में प्रतिक्रिया उत्साहजनक है।&nbsp;</p>

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