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बांस उत्पादन से सुदृढ़ होगी किसानों की आर्थिकी, 90 हैक्टेयर क्षेत्र में लगभग 90 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य

<p>पालमपुर, जिला कांगड़ा के देहरा, सुलह स्थित भेडूं महादेव, पंचरूखी और लंबागांव विकास खण्डों के सैंकड़ों किसानों ने बांस उत्पादन को स्वरोजगार का जरिया बनाने की दिशा में पहल की है। प्रदेश का कृषि विभाग, राष्ट्रीय बांस मिशन योजना में किसानों को बांस उत्पादन के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करवा रहा है। बेरोजगारों को बांस आधारित उद्योग लगाने के लिए आर्थिक सहायता के अलावा प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।</p>

<p>बांस का जीवन में समाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व होने के कारण प्रदेश और देश में बांस की काफी मांग रहती है। मांग के अनुरूप उत्पादन को बढ़ाने के लिए कृषि विभाग ने राष्ट्रीय बांस मिशन योजना में किसानों को प्रेरित किया जा रहा है ताकि लोगों को स्वरोजगार देकर उनकी आर्थिकी को सुदृढ़ किया जा सके।</p>

<p>कांगड़ा जिला के चार विकास खण्ड़ों में 90 हैक्टेयर क्षेत्र में लगभग 90 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के अंतर्गत बांस के रोपण और किसानों द्वारा बांस के उत्पाद आधारित उद्योग लगाने के लिए वित्तीय सहायता भी उपलब्ध करवाई जा रही है। प्रथम चरण में विकास खण्ड देहरा के गांव नहालियां में बांस के 6 हजार पौधे, पंचरूखी विकास खण्ड के गांव पढ़ियारखर में 3 हजार, लंबागांव विकास खण्ड के औछ में 3 हजार औऱ सुलह स्थित भेडू महोदव विकास खण्ड के बच्छवाई, भदरोल, क्यारवां और डंईं गांवों में 3 बांस के पौधे रोपित किये जा रहे हैं।</p>

<p>किसानों को अधिक औऱ जल्दी आमदन के लिए बांस की उन्नत किस्म डेंड्रोकलस स्ट्रिक्टस के पौधे उपलब्ध करवाये जा रहे हैं, जो तीन वर्षों में तैयार होकर लोगों की अच्छी आमदन का जरिया बनेंगे। बंजर या किसी भी उपयोग में नहीं लाई जा रही जमीन पर बांस का उत्पादन आसानी से कर अच्छी आमदन प्राप्त की जा सकती है। बाजार में बांस की अच्छी मांग के कारण बेरोजगार युवा बांस उत्पादन को स्वरोजगार के रूप में भी अपना सकते हैं।</p>

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उप-निदेशक कृषि पालमपुर, पीसी सैनी ने बताया कि बांस की प्रदेश में और प्रदेश के बाहर अच्छी खासी मांग है। मांग के अनुरूप बेहतर किस्म के बांस उत्पादन के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। लोगों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने के लिए अनुदान पर बांस के पौधे वितरित किये जा रहे हैं। बेरोगार युवाओं को बांस आधारित उद्योग स्थापना के लिए सहायता उपलब्ध करवाने के साथ-साथ बांस अधारित उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया रहा है।</p>

<p>जिला कृषि अधिकारी, कुलदीप धीमान ने बताया कि बांस को बड़ी आसानी से बंजर भूमि में उगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि बांस के एक कनाल भूमि में 40 पौधे लगाये जाते हैं और किसानों को बांस के 15 हजार पौधों का वितरण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बांस के पौधे सामुहिक जमीन पर लगाने पर लाभार्थी को शत-प्रतिशत सहायता और व्यक्तिगत 25 कनाल जमीन पर एक हजार बांस के पौधे लगाने पर 50 प्रतिशत या अधिकतम 25 हजार रुपये अनुदान का प्रावधान है। इस वर्ष जिला कांगड़ा में 112 लाख रुपये व्यय करने का प्रावधान किया गया है। किसी भी प्रकार की जानकारी एवं सहायता लेने के लिए नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है।</p>

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