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मां शिकारी देवी की छांव में ईको टूरिज्म की नई उड़ान

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● मंडी का भुलाह बायोडायवर्सिटी पार्क पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र
● ट्री हाउस, ट्री वॉक और जैव विविधता का अनूठा संगम
● हिमाचल की बदलती पर्यटन नीति का बेहतरीन उदाहरण

विपलव सकलानी, मंडी


Bhulah Park, Himachal Tourism: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के करसोग क्षेत्र में स्थित भुलाह का बायोडायवर्सिटी पार्क इन दिनों देशभर के पर्यटकों के आकर्षण का नया ठिकाना बन गया है। वन विभाग द्वारा विकसित यह जैव विविधता पार्क नाचन वन मंडल के जंजैहली क्षेत्र में देवी मां शिकारी के पावन चरणों के समीप स्थित है। यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य, आध्यात्मिकता, ईको टूरिज्म और रोमांच का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।

यहां प्राकृतिक हरियाली, देवदार के घने जंगल और पहाड़ी ढलानों के बीच निर्मित चार आकर्षक ट्री हाउस हैं, जो प्राकृतिक वातावरण में ठहरने का अनोखा अनुभव प्रदान करते हैं। हर ट्री हाउस में आधुनिक सुविधाओं के साथ 8 से 10 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है और सिर्फ 1500 रुपये प्रतिदिन में पर्यटक यहां प्रकृति की गोद में रात गुजार सकते हैं। यह अनुभव उन लोगों के लिए है जो प्रकृति से सीधा जुड़ना चाहते हैं, और पर्यावरण के प्रति जागरूक पर्यटन का हिस्सा बनना चाहते हैं

ट्री हाउस के साथ-साथ ट्री वॉक, यानी देवदारों के बीच हवा में बना लकड़ी का रास्ता, इस पार्क की एक अनोखी विशेषता है। यह ट्रैक न केवल रोमांचकारी है, बल्कि वनस्पति प्रेमियों और छायाकारों को भी आकर्षित करता है। यहां से जंगल की जैव विविधता का बेहद निकटता से अवलोकन किया जा सकता है

पार्क में स्थित पौधशालाएं (नर्सरी) विभिन्न स्थानीय और दुर्लभ प्रजातियों के पौधों का संरक्षण करती हैं। यह जैव विविधता के संरक्षण और पर्यावरणीय शिक्षा का एक सशक्त केंद्र बन गई है, जहां छात्र, शोधार्थी और पर्यटक सभी लाभान्वित हो रहे हैं।

वन विभाग के प्रशिक्षित केयर टेकर द्वारा पार्क का संचालन और रखरखाव किया जा रहा है, जो स्थानीय समुदाय की सहभागिता को भी दर्शाता है। यह मॉडल पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण रोजगार सृजन दोनों का बेहतरीन उदाहरण बनता जा रहा है।

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अगुवाई में प्रदेश सरकार ईको टूरिज्म को नई दिशा देने के लिए प्रतिबद्ध है, और भुलाह का यह पार्क सरकारी विज़न की सफलता का जीवंत उदाहरण बन चुका है। यहां देश के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक पहुंच रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि हिमाचल अब पारंपरिक टूरिस्ट स्पॉट्स से आगे बढ़कर सस्टेनेबल टूरिज्म की ओर बढ़ रहा है

भुलाह का बायोडायवर्सिटी पार्क हिमाचल की बदलती पर्यटन नीति और पर्यावरणीय सोच का सशक्त प्रतीक है। यह स्थान श्रद्धा, शांति और रोमांच तीनों की त्रिवेणी है, जहां देवी मां शिकारी के दर्शन के साथ-साथ पर्यटक प्रकृति से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

रेंज ऑफिसर महेंद्र सिंह के अनुसार, अब न केवल स्थानीय लोग बल्कि देशभर से पर्यटक इस पार्क में आ रहे हैंयहां के ट्री हाउस में रुककर लोग प्रकृति के साथ समय बिता रहे हैं, और यह अनुभव उन्हें लाइफटाइम मेमोरी के रूप में याद रह जाता है।