बिलासपुर में आयोजित हो रहे राज्य स्तरीय नलवाड़ी मेले में पैरा ग्लाडिंग ईवेंट का सात दिवसीय आयोजन जारी है। पैराग्लाइडिंग के शौकीन आसमान से गोविन्द सागर झील सहित बिलासपुर शहर, बड़ोल देवी धार की प्राकृतिक सुंदरता के नजारे देख रहे हैं। गौरतलब है कि बिलासपुर की बंदला पहाड़ी एशिया भर में सबसे सुरक्षित पैराग्लाईडिंग साईट है लेकिन पैराग्लाइडिंग के क्षेत्र में बिलासपुर राजनीतिक इच्छा शक्ति के कारण पिछड़ा चुका है। करीब 20 वर्षों की समयावधी में पर्यटन की दृष्टी से भी पैराग्लाईडिंग को बढ़ावा देने में प्रदेश सरकार विफल रही है।
पैराग्लाईडिंग क्षेत्र से जुड़े बिलासपुर निवासी विनोद जसल ने बताया कि पैराग्लाइडिंग खेल ही नहीं अपितु युवाओं को रोजगार के क्षेत्र में अवसर प्रदान करने के प्रति सार्थक है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इतना लम्बा अर्सा बीत जाने के बाद भी पर्यटन विभाग और प्रदेश सरकार पूरी तरह से विफल रहे हैं। क्योंकि आजतक धरातल पर कोई भी पैराग्लाइडिंग के लिए नीति पर्यटन विभाग नहीं बना सका है। उन्होंने आरोप लगाया है कि पैराग्लाइंग खेल के साथ हमेशा प्रदेश सरकार ने सौतेला व्यवहार किया है।
बिलासपुर में स्थित गोविंद सागर झील में पूरे साल में करीब 9 महीने तक पानी उपलब्ध रहता है जिस कारण गोविन्द सागर झील में CB पैराग्लाईडिंग कोर्स की अपार संभावनाएं हैं लेकिन दुःख की बात है कि सब कुछ होने के बावजूद CB कोर्स के लिए भारतीय पायलटों को नेपाल, तुर्की या अन्य देशों में जाना पड़ता है। बिलासपुर की बंदला साईट गोविंद सागर झील पास होने के कारण सर्वश्रेष्ठ है। हिमाचल प्रदेश के पैराग्लाडिंग के पायलटों को उम्मीद है कि जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार पैराग्लाईडिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने की दृष्टी और पर्यटन क्षेत्र को और विकसित करने के प्रति अवश्य सार्थक कदम उठाएगी।