विधानसभा चुनाव से पहले मात्र 4 संसदीय क्षेत्रों वाला हिमाचल बीजेपी के लिए इतना अहम क्यों होता जा रहा है? क्या बीजेपी हिमाचल में अपने मिशन रिपीट वाले विजय रथ को आगे बढ़ाने की कवायद में जुटी है? अगर ऐसा है तो क्या मिशन रिपीट को मुमकिन करने में सफल हो पाएगी बीजेपी? क्या बीजेपी हिमाचल से देश की सियासी हवा बदलकर जनता के सामने एक अलग संदेश देने की कोशिश में जुटी है? ये सवाल इसलिए क्यों कि 2022 के अंत में सिर्फ हिमाचल में ही विधानसभा चुनाव नहीं हैं बल्कि पीएम मोदी और अमित शाह के गृह राज्य गुजरात में भी चुनाव होने हैं. तो बीजेपी सिर्फ हिमाचल प्रदेश में इतना दमखम क्यों लगा रही है? ये सवाल इसलिए भी क्यों कि हिमाचल के बड़े नेता बार बार हिमाचल के दौरे पर हैं जैसे जेपी नड्डी और अनुराग ठाकुर.
शायद ऐसा इसलिए है क्यों कि बीजेपी उत्तराखंड के बाद हिमाचल में मिशन रिपीट के सपने को साकार कर देश में यह संदेश देना चाहेगी कि बीजेपी ही एक ऐसी पार्टी है जो हर रिकॉर्ड बना सकती है. और दूसरे विपक्षी दलों को चारों खानों सालों साल चित करने का दंभ रखती है. बीजेपी यह भी चाह रही है कि 5 साल कांग्रेस और 5 साल बीजेपी वाली प्रथा को खत्म करे. जैसे उत्तराखंड में बीजेपी ने करके दिखाया है. बीजेपी की यह रणनीति हिमाचल में अगर सफल होती है तो कांग्रेस के लिए ये एक युग की तरह नुकसानदेह साबित हो सकता है.
ये हम इसलिए भी कह रहे हैं क्यों कि बीजेपी के आलानेता आज कल हिमाचल की सियासी सैर पर हैं. फिर चाहे वो बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा हों, चाहे अनुराग ठाकुर और फिर चाहे अमित शाह और पीएम मोदी ही क्यों ना बार बार प्रदेश के चक्कर काट रहे हों. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद हिमाचल प्रदेश से आते हैं और बिलासपुर से राज्यसभा के सांसद भी हैं. उधर, अगर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की बात करें तो वह हमीरपुर से सांसद हैं और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे हैं. नड्डा और अनुराग की जोड़ी हिमाचल में जयराम को जीत की संजीवनी देने में जुटी है.
इसलिए मोदी सरकार के 8 साल का जश्न छोटे से प्रदेश हिमाचल में मनाया जा रहा है. खास बात ये है केंद्र सरकार के 8 साल के कार्यकाल की योजनाओं का बखान भी राजधानी शिमला से किया गया और देश भर के लाभार्थियों से पीएम ने यहीं से संवाद किया. अगर बीजेपी चाहती तो इतने बड़े इवेंट का आयोजन गुजरात में भी कर सकती थी. लेकिन बीजेपी की टारगेट दूरदर्शी लग रहा है. और वो टारगेट सिर्फ एक ही है कि उत्तराखंड के बाद एक और पहाड़ हिमाचल की चढ़ाई आखिर कैसे चढ़ी जाए?