मुख्य संसदीय सचिव आशीष बुटेल तथा डिप्टी चीफ व्हिप केवल सिंह पठानिया ने कहा कि वर्तमान कांग्रेस सरकार ही कर्मचारियों की हितैषी सरकार है। उन्होंने कहा कि पहली ही कैबिनेट बैठक में राज्य सरकार ने अपनी चुनावी गारंटी को हुए पूरा करते हुए 1.36 लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल किया और इसे पुराने स्वरूप में लागू किया।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में ऐसा करना वाले हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है। जबकि, राजस्थान में चुनाव के बाद वहाँ भाजपा सरकार बनते ही पूर्व की कांग्रेस सरकार के समय लागू की गई पुरानी पेंशन स्कीम को बंद कर दिया है। दोनों ने कहा कि केवल कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही सरकारी कर्मचारियों के हित सुरक्षित हैं।
उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन प्रदान करने पर केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश पर कई प्रकार की पांबदियां लगाईं। केंद्र से मिलने वाली वित्तीय सहायता को कम किया लेकिन इसके बावजूद वर्तमान राज्य सरकार का संकल्प है कि कर्मचारियों को ओपीएस हर हाल में दी जाएगी। यही नहीं, केंद्र सरकार एनपीएस के 10 हजार करोड़ रुपए पर कुंडली मारे बैठी है।
बुटेल और पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जब भाजपा सरकार थी, तो कर्मचारियों को ओपीएस मांगने पर लाठियां मिलीं, उन पर पानी की बौछारें छोड़ी गई और मज़ाक़ बनाते हुए कर्मचारियों को चुनाव लड़ने की चुनौती दी गई। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन के लिए लंबा संघर्ष किया और वर्तमान सरकार ने उनकी मांग को पूरा किया है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बिना किसी राजनीतिक कारण के कर्मचारियों का बुढ़ापा सुरक्षित किया, ताकि उन्हें वृद्धावस्था में किसी के आगे हाथ न फैलाने को मजबूर न होने पड़े और वह आत्मसम्मान के साथ अपना जीवन जी सकें। सरकारी कर्मचारियों ने जीवन भर हिमाचल प्रदेश के विकास में योगदान दिया है और उनकी कड़ी मेहनत से ही तरक्की के नए आयाम स्थापित हुए हैं। इसलिए, पुरानी पेंशन के माध्यम से उनकी सामाजिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों ने कहा कि मात्र सवा साल के कार्यकाल में वर्तमान राज्य सरकार ने कर्मचारियों को पहले तीन प्रतिशत और अब चार प्रतिशत महंगाई भत्ता जारी किया है।
उन्होंने कहा कि बागी आज कर्मचारी विरोधी भाजपा के साथ खड़े हैं और भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व भाजपा सरकार ने जनता के पैसे का दुरुपयोग किया, जिसके कारण हिमाचल प्रदेश पर 75 हजार करोड़ रुपए से अधिक का क़र्ज़ हो चुका है और राज्य की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि आर्थिक बदहाली को ठीक करने के साथ-साथ वर्तमान प्रदेश सरकार कर्मचारियों को उनके वित्तीय लाभ भी प्रदान कर रही है।