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नागरिक सभा शिमला ने NGT के आदेश पर उठाए ये सवाल

पी. चंद |

शिमला नागरिक सभा ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेशों पर आपत्ति जाहिर की है। नागरिक सभा का कहना है कि एनजीटी ने जो तुगलकी फरमान भवन निर्माण के लिए दिया है वह जनता के हितों के खिलाफ है। जनता 16 नवंबर के एनजीटी के फैसले से काफी नाराज है। पर्यावरण की सुरक्षा और शिमला की हरियाली के नाम पर एनजीटी ने जो फैसला जनता पर थोपा है इससे किसी का भला होने वाला नहीं है उल्टा इससे शिमला का विकास रुक जाएगा। यदि शिमला में निर्माण कार्य बन्द हो गया तो शिमला पिछड़ जाएगा।

नागरिक सभा के अध्यक्ष विजेन्द्र मेहरा ने कहा कि एनजीटी ने ये निर्णय हिमाचल सरकार और नगर निगम शिमला को बिना विश्वास में ले लिया है। उन्होंने बताया कि पेड़ काटने के सवाल पर एनजीटी को समझना चाहिए कि पेड़ काटने भी पड़ते हैं और नए पेड़ भी लगाए जाते हैं।

लेकिन एनजीटी के आदेश के बाद क्या स्कूल , अस्पताल , सड़क एवं अन्य विकास कार्यो के लिए भी पेड़ नहीं कटेंगे। तो ऐसे में शिमला का विकास कैसे होगा। एनजीटी के निर्णय में बन चुके भवनों के निर्माण की जो फीस रखी गई है वह बहुत ज्यादा है उसको  चुका पाना शिमला की जनता के लिए मुश्किल होगा। क्योंकि लोन लेकर अधिकतर लोगों ने मकान बनाएं है।    

मेहरा ने कहा कि ढाई मंज़िल से ज्यादा भवन निर्माण नहीं होगा। ऐसे में स्मार्ट सिटी का 1500 करोड़ जो आना है उसका इस्तेमाल कैसे किया जाएगा। क्योंकि कोर एरिया में ही तो मल्टीप्लेक्स बिल्डिंग बननी है। उन्होंने कहा कि ये लड़ाई नागरिक सभा की ही नही है बल्कि जनता और सरकार की भी है।

उन्होंने कहा कि सरकार न्यायालय में जाकर अपना पक्ष रख सकती है या केन्द्र सरकार के ध्यान में भी इस मामले को लाया जाए। लेकिन अभी तक सरकार इस मामले में असफल सिद्ध हुई है। यदि नागरिक सभा को  कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़े लड़ी जाएगी। लेकिन उससे पहले 2 दिसंबर को शिमला के हर वर्ग को न्यौता दिया गया है कि एक बैठक कर आगामी लड़ाई की रूपरेखा बनाई जाए।