➤ सीटू जिला सम्मेलन शिमला में 49 सदस्यीय नई कमेटी गठित
➤ मजदूर विरोधी चार लेबर कोड के खिलाफ तीखा विरोध, न्यूनतम वेतन 26 हजार की मांग
➤ आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने की मांग
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में सीटू जिला कमेटी का दो दिवसीय जिला सम्मेलन अग्रवाल धर्मशाला में संपन्न हुआ। सम्मेलन में 49 सदस्यीय जिला कमेटी का गठन किया गया। कुलदीप डोगरा को अध्यक्ष, अमित कुमार को महासचिव, बालक राम को कोषाध्यक्ष चुना गया। इसके अलावा अजय दुलटा, सुनील मेहता, वीरेंद्र लाल, दिनेश मेहता, शांति देवी और प्रताप चौहान को उपाध्यक्ष बनाया गया।

सम्मेलन में मजदूर वर्ग के अधिकारों और केंद्र सरकार की नीतियों पर तीखी आलोचना की गई। सीटू नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए चार लेबर कोड मजदूरों पर गुलामी थोपने का काम करेंगे। इन कोडों से लगभग 70% उद्योग और 74% मजदूर श्रम कानूनों की सुरक्षा से बाहर हो जाएंगे।

नेताओं ने कहा कि सरकार हड़ताल के अधिकार को सीमित कर रही है, जबकि काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 करने की तैयारी चल रही है, जो बंधुआ मजदूरी जैसी स्थिति को जन्म देगी।

सीटू ने मांग रखी कि न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह घोषित किया जाए, आंगनबाड़ी, मिड डे मील और आशा कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए, और सभी श्रमिकों को ग्रेच्युटी व पेंशन की गारंटी दी जाए।

सीटू नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार की नवउदारवादी और पूंजीपति परस्त नीतियों ने देश में बेरोजगारी, गरीबी और असमानता को बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि मनरेगा बजट में बढ़ोतरी, 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी और 200 दिन कार्य दिवस सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
उन्होंने बीआरओ, आउटसोर्स और ठेका कर्मियों की नियमितीकरण नीति बनाने की भी मांग की। सीटू नेताओं ने कहा कि यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक मजदूरों को सम्मानजनक वेतन और सुरक्षित रोजगार नहीं मिलता।



