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प्रदेश भर में मनाई हिमाचल निर्माता YS परमार की 113वीं जयंती, मुख्यमंत्री जयराम ने दी श्रद्धांजलि

<p>राज्य सरकार&nbsp; ने पीटरहॉफ में हिमाचल निर्माता पूर्व मुख्यमंत्री और हिमाचल निर्माता स्वर्गीय डॉ. यशवंत सिंह परमार की 113वीं जयंती का राज्य स्तरीय समारोह पीटरहॉफ में मनाया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने की। इस अवसर पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज और नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री सहित कई गणमान्य व्यक्ति वहां मौजूद रहे और कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। इससे पहले मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री सहित कई नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों ने डॉ. परमार की प्रतिमा के सामने पुण्य पुष्प अर्पित किए। पार्टी डॉ. परमार की जयंती उनके गांव बागथन में&nbsp; मना रही है।</p>

<p>मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल निर्माता डॉ. यसवंत सिंह परमार के जीवन से बहुत चीजें सीखने वाली है। हिमाचल निर्माण में परमार का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने हिमाचल को पहाड़ी राज्य बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया। इस पहाड़ी राज्य को विकास के पथ पर ले जाने के लिए एक विज़न के उन्होंने काम किया। आज उनके पदचिन्हों पर आगे बढ़ने की ज़रूरत है। डॉ. परमार के योगदान को हमेशा याद रखेगा। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि डॉ. परमार का मार्गदर्शन आज भी उतना ही सार्थक है जितना हिमाचल बनने के समय था। उनकी दूरदर्शी सोच के चलते हिमाचल विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। इस मौक़े पर विधानसभा की तरफ़ से डॉ परमार के जीवन पर आधारित पुस्तक भी बनाई है। जिसकी 1000 प्रतियां आज बांटी जाएंगी।</p>

<p>उधर विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने भी इस अवसर पर कहा कि डॉ. परमार ने हिमाचल के हितों की लड़ाई लड़ी। पहाड़ी राज्यों के विकास के लिए अलग से मापदंड बनाएं। हिमाचल बनने के समय हिमाचल की आर्थिक स्थिति अच्छी नही थी लेकिन डॉ परमार की दूरदर्शी सोच के कारण कृषि, बागवानी, पर्यटन और ऊर्जा के क्षेत्र में हिमाचल आगे बढ़ा।</p>

<p><span style=”color:#c0392b”><strong>डॉ. यशवंत सिंह परमार</strong></span></p>

<p>डॉ. यशवंत सिंह परमार का जन्म 4 अगस्त 1906 को चलग गांव में उर्दू, फारसी के विद्वान और कला संस्कृति के सरंक्षक भंडारी शिवानंद के घर हुआ था। पिता सिरमौर रियासत के दो राजाओं के दीवान रहे थे। वे शिक्षा के महत्व को समझते थे। इसलिए उन्होंने यशवंत को उच्च शिक्षा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी शिक्षा के लिए पिता ने जमीन जायदाद गिरवी रख दी थी। डॉ. यशवंत सिंह ने 1922 में मैट्रिक और 1926 में लाहौर के प्रसिद्ध सीसीएम कॉलेज से स्नातक के बाद 1928 में लखनऊ के कैनिंग कॉलेज में प्रवेश किया और वहां से एमए और एलएलबी किया। डॉ. परमार 1930 से 1937 तक सिरमौर रियासत के सब जज और 1941 में सिरमौर रियासत के सेशन जज रहे।</p>

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